
हाथरस 22 दिसंबर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व नगर कार्यवाह एवँ वरिष्ठ स्वयंसेवक यशपाल भाटिया ने आज अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह 93 वर्ष के थे। अन्तिम समय भी उनके हाथों में भारत माता का चित्र था। उनकी अंतिम यात्रा में भरी संख्या में समाज के सभी लोग शामिल हुये। वह लोकतंत्र रक्षक सेनानी भी थे। मुरसान गेट निवासी यशपाल भाटिया का जन्म पाकिस्तान के हजारा नामक स्थान पर 1932 को हुआ। वह अपने परिवार के साथ रहते थे। उनके तीन बच्चे थे। उनकी धर्मपत्नी मोतिया भाटिया का देहावसान कुछ माह पूर्व हो गया था। भाटिया जी का जीवन महर्षि दयानंद सरस्वती और संघ संस्थापक डॉ केशराव बलिराम हेडगेवार से प्रभावित रहा। वह आजीवन संघ कार्य करते हुये संस्कारित समाज के निर्माण में लगे रहे। वह आर्य समाज जाकर प्रतिदिन हवन किया करते थे। संघ के स्वयंसेवको की चिंता करना और संघ कार्य को गति प्रदान करने में ही सम्पूर्ण जीवन दे दिया। आपातकाल मे संघ का काम करते हुए जेल जाना पड़ा। उन्हें लोकतंत्र रक्षक के सम्मान से भी सुशोभित किया गया। भाटिया ने अपनी लोकतंत्र सेनानी की पेंशन भी संघ के सेवा कार्यों को समर्पित कर दी। समाज के बच्चों को अच्छी शिक्षा एवँ संस्कार मिले इसलिये भाटिया जी ने अपने जीवन की सारी जमा पूंजी विद्या भारती के लिए समर्पित कर सरस्वती शिशु एव विधा मन्दिर को अर्पित कर दी। उनकी अंतिम यात्रा मुरसान गेट से शुरू होकर पत्थरवाली श्मशान स्थल पहुँची। उनकी अंतिम यात्रा में संघ के स्वयंसेवको सहित भारी संख्या में समाज के लोग शामिल हुये। पत्थरवाली श्मशान घाट पर उत्तर प्रदेश सरकार के जवानों द्वारा अंतिम विदाई दी गई। पुलिस के जवानों ने बंदूके झुकाकर और सैलूट कर उनको सलामी देकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व नगर कार्यवाह एवँ वरिष्ठ स्वयंसेवक यशपाल भाटिया मुरसान गेट स्थित वीर सावरकर शाखा के सबसे पुराने स्वयंसेवक थे। वह नियमित रूप से शाखा जाते थे और शाखा की आसपास के रहने वाले लोगों शाखा के लिये जागरण करना और उन्हें साथ ले जाना उनका नित्य कार्य था। भाटिया जी शाखा के तुरंत बाद मुरसान गेट स्थित आर्य समाज मंदिर में नित्य हवन करते थे । भाटिया जी भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय भारत में आए और बहुत लंबे समय तक संघर्ष किया । आप प्रारंभ में ₹2 प्रतिमाह पर पंजाब मे आर्य मंदिर पर किराए पर रहे। संघ में भाटिया जी कई वर्षो तक विभिन्न दायित्व पर रहे । वह सदैव छोटे से बड़े कार्यकर्ता की चिंता करते रहे । सैकड़ो कार्यकर्ता उनके बताइए मार्गों का अनुसरण कर रहे है।












