
हाथरस 12 दिसंबर । हाथरस जिला मुख्यालय से लगभग 31 किलोमीटर दूर बसा सहपऊ विकास खंड का गांव बुढ़ाइच दिखने में भले ही एक आम ग्रामीण गांव जैसा है, लेकिन यहां की मिट्टी में शिक्षा की सुगंध रची-बसी है। 400 परिवारों के इस गांव में 300 से अधिक युवा सरकारी नौकरियों में हैं। गांव की चौपालों पर अक्सर ‘भर्ती’, ‘परीक्षा’ और ‘नतीजे’ जैसे शब्द चर्चा का केंद्र बने रहते हैं। इसी माहौल की वजह से बच्चों में बचपन से ही पढ़ाई और सरकारी नौकरी की प्रेरणा पैदा होती है। यही कारण है कि बुढ़ाइच जिले का अकेला ऐसा गांव बन चुका है, जहां सबसे ज्यादा लोग सरकारी सेवाओं में हैं।
गांव की हर सड़क पढ़ाई की कहानी कहती है। सुबह चार बजे जब अन्य गांवों में अंधेरा होता है, बुढ़ाइच के घरों में रोशनी दिखाई देती है और युवा सुनहरे भविष्य का ताना-बाना बुनते हैं। गलियों में टॉर्च की रोशनी से लोग समझ जाते हैं कि बच्चे पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। शाम को खेत से लौटते मजदूरों के बीच से गुजरते बच्चों को कंधे पर स्कूल बैग और हाथों में किताबें लिए कोचिंग से लौटते देखना आम दृश्य है। गांव के कई लोग भारतीय राजस्व सेवा (IRS), पीसीएस, जज, एमडी डॉक्टर, वैज्ञानिक, पुलिस निरीक्षक, अर्द्धसैनिक बल के कमांडेंट जैसे महत्वपूर्ण पदों पर हैं। बेटियों ने भी उत्कृष्ट उदाहरण पेश किए हैं—दो बेटियां एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जिनमें से एक एमडी है, एक बेटी जज और एक पूर्ति निरीक्षक के पद पर तैनात है। पूर्व प्रधानाचार्य वासुदेव का परिवार पूरे गांव के लिए आदर्श है। 70 वर्ष से अधिक उम्र के वासुदेव अपने घर की दहलीज पर बैठे 14 सरकारी नौकरी वाले बेटों-बेटियों, बहुओं और पोतों को देखकर गर्व महसूस करते हैं। उनका कहना है कि गरीबी बहुत देखी, लेकिन पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ा। आज परिवार की हर पीढ़ी सरकारी सेवा में है। इससे बड़ा ऊपर वाले का आशीर्वाद क्या होगा?
गांव में पढ़ाई की परंपरा मजबूत है। पिछले 10 वर्षों में बुढ़ाइच के सबसे ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है। सेवानिवृत्त कर्मचारी अपनी पुस्तकों और टिप्स अगले छात्रों को देते हैं, जिससे तैयारी और मजबूत होती है। शाम को युवा आपस में ग्रुप डिस्कशन करते हैं और सरकारी सेवाओं में तैनात लोगों से मार्गदर्शन लेते हैं। गांव के बुजुर्ग त्रिलोकी यादव कहते हैं कि हमने बच्चों से कहा था, खेतीबाड़ी तो हम कर लेंगे, तुम पढ़ाई करो। और उन्होंने यह सपना पूरा किया। उनकी आंखों की चमक बताती है कि यह गांव सिर्फ पढ़ा लिखा नहीं, बल्कि सपनों को हकीकत में बदलने का उदाहरण है।
एक नजर में बुढ़ाइच
- जिला मुख्यालय से दूरी : 31 किलोमीटर
- कुल परिवार : 400
- आबादी : लगभग 6,000
- सरकारी नौकरी वाले : 300+
- बेटियों की उपलब्धि : जज, एमडी, एमबीबीएस, पूर्ति निरीक्षक
- विभागों में भर्ती : पुलिस, रेलवे, स्वास्थ्य, शिक्षा, सेना
- खेती का क्षेत्रफल : 1,125 बीघा














