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हाथरस 08 दिसम्बर । उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से जुड़ी एक बड़ी मांग को लेकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सांसद अनूप प्रधान बाल्मीकि को सौंपा गया। यह ज्ञापन 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को सेवा में बने रहने एवं पदोन्नति के लिए टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखने की मांग को लेकर दिया गया।

ज्ञापन में बताया गया कि “निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009” के तहत वर्ष 2010 में जारी राजपत्र के अनुसार 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर नई न्यूनतम योग्यता लागू नहीं होती। उत्तर प्रदेश में यह कानून 29 जुलाई 2011 से लागू हुआ, इसलिए उससे पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्य नहीं की जानी चाहिए। शिक्षक संघ ने यह भी तर्क दिया कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के चलते वर्षों से सेवा दे रहे शिक्षकों पर अचानक टीईटी का भार डालना न्यायसंगत नहीं है। इससे लाखों शिक्षक मानसिक तनाव में हैं और उनका भविष्य असुरक्षित हो गया है।

इस मौके पर संघ के जिला महामंत्री विजयवीर सिंह, कोषाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, संयुक्त मंत्री यतेंद्र पाठक, योगेंद्र शर्मा, संतोष शर्मा, शशि कुलश्रेष्ठ, कन्हैयालाल, नेत्रपाल सिंह, गोविंद रावत, नरेश मीना, गौरव पचौरी, कुलदीप चौधरी, मनिभूषण, मुकेश सिंह, मोनू बंसल, मेधा सेंगर, सुकीर्ति सेंगर, निर्मला देवी, उमेश कुमारी, कल्पना शर्मा, नेहा अग्रवाल, लक्ष्मी वार्ष्णेय, सपना सिंह, भावना, श्वेता सिंह, योगेश सारस्वत, कृष्ण कांत, मोहित मधुर सहित सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे। संघ के पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की है कि वर्षों से सेवा दे रहे शिक्षकों को टीईटी की बाध्यता से मुक्त रखा जाए, ताकि वे बिना भय के अपना शैक्षणिक दायित्व निभा सकें।

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