
हाथरस 28 नवंबर । किसान उत्पादक संगठन (FPO) का गठन छोटे और सीमांत किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन अधिकांश किसान छोटे जोत वाले हैं, जिनके पास सीमित संसाधन और कम पूंजी होती है। इसी कारण वे कृषि इनपुट की बढ़ती लागत और बिचौलियों के प्रभाव से अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त नहीं कर पाते। ऐसे में किसानों को संगठित करने और उनकी सामूहिक शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से FPO की अवधारणा तेजी से मजबूत हो रही है। FPO एक पंजीकृत संस्था होती है जिसे किसान सामूहिक रूप से बनाते हैं। इसके गठन के लिए कम से कम 10 या अधिक किसान सदस्य बनाए जाते हैं। इसे प्रोड्यूसर कंपनी, सहकारी समिति या अन्य वैधानिक ढांचे में पंजीकृत किया जा सकता है। संगठन के सुचारू संचालन के लिए निदेशक मंडल, प्रबंधन समिति और अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है, जिससे पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रबंधन व्यवस्था सुनिश्चित होती है। NABARD, SFAC, NCDC और अन्य संस्थाएं इन संगठनों को तकनीकी, वित्तीय और प्रशिक्षण संबंधी सहायता भी प्रदान करती हैं।
FPO की सदस्यता के लिए किसान को संगठन के कार्यक्षेत्र का सदस्य होना, तय की गई शेयर राशि का अंशदान करना और संगठन के नियमों का पालन करना आवश्यक है। सदस्य बनने पर किसान को संगठन के निर्णयों में भागीदारी का अधिकार मिलता है और वे लाभांश के पात्र बनते हैं। इससे प्रत्येक सदस्य न केवल उत्पादन में, बल्कि संगठनात्मक विकास और आर्थिक प्रगति में भी साझेदार बनता है। FPO किसानों को कई प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करता है। सामूहिक खरीद-बिक्री के माध्यम से कृषि लागत कम होती है और मुनाफा बढ़ता है। बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि यंत्रों की थोक खरीद पर रियायती दरें मिलती हैं। इसके अलावा, उपज की ग्रेडिंग, पैकिंग, भंडारण, परिवहन और मूल्य संवर्धन की सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, जिससे किसानों को अपनी फसल के लिए बेहतर बाजार मूल्य प्राप्त होता है। किसानों की सीधी बाजार तक पहुँच बढ़ती है, जिससे बिचौलियों पर निर्भरता कम होती है। MSP और सरकारी योजनाओं का लाभ लेना भी आसान हो जाता है। बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं से ऋण सुविधा प्राप्त करना सरल बनता है। FPO किसानों में नेतृत्व क्षमता, प्रबंधन दक्षता और उद्यमशीलता का विकास भी करता है। यह किसानों को केवल उत्पादक ही नहीं, बल्कि सफल कृषि उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करता है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और कृषि क्षेत्र में आधुनिकता और नवाचार को बढ़ावा मिलता है। केंद्र और राज्य सरकारों ने देशभर में 10,000 से अधिक FPO स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। यह पहल किसानों के लिए मजबूत मूल्य श्रृंखला, बेहतर विपणन प्रणाली और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। निस्संदेह, किसान उत्पादक संगठन छोटे और सीमांत किसानों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का बड़ा माध्यम साबित हो रहे हैं। जब किसान संगठित होंगे, तभी कृषि समृद्ध होगी और भारत आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम बढ़ाएगा।














