
सिकंदराराऊ (हसायन) 19 नवंबर । कोतवाली क्षेत्र के स्थानीय कस्बा स्थित अंडौली–पुरदिलगर–गडौला मार्ग पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति की सीढ़ियों पर मंगलवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में 10 अवैध कारतूस मिलने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। घटना को 48 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस अब तक यह पता नहीं लगा पाई है कि यह कारतूस वहां कौन रखकर गया और उनका उद्देश्य क्या था। मंगलवार सुबह करीब 6:30 बजे, नगर पंचायत में सफाई कार्य कर रहे कर्मचारियों की नजर मूर्ति की सीढ़ियों पर रखे एक सफेद रूमाल पर पड़ी, जिसमें कुछ भारी वस्तु लिपटी हुई प्रतीत हो रही थी। इस पर कर्मचारियों ने तुरंत मुख्य सफाई निरीक्षक विनीत कुमार वाल्मीकि को सूचना दी। विनीत कुमार ने मौके पर पहुंचकर रूमाल खोला तो उसमें दो खाली खोखे और आठ जिंदा कारतूस निकले। कारतूसों के दिखाई देते ही सफाई कर्मचारी, आसपास मौजूद नागरिक और मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग दहशत में आ गए।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
कारतूस मिलने के बाद कस्बे में यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि रातभर गश्त, पुलिस बल और होमगार्ड तैनात रहने के बावजूद कोई व्यक्ति कारतूसों का यह पैकेट मूर्ति की सीढ़ियों पर कैसे रख गया? कस्बा क्षेत्र होने के साथ-साथ यह मार्ग अत्यंत व्यस्त रहता है। इसके बावजूद इतने संवेदनशील स्थान पर संदिग्ध वस्तु पहुँच जाना सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक को दर्शाता है।
सीसीटीवी कैमरे बंद, निगरानी व्यवस्था फेल
तिराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरे कई समय से बंद पड़े हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदर कैमरों को लगातार क्षतिग्रस्त करते रहे, लेकिन कई महीनों से न तो उनकी मरम्मत हुई और न ही निगरानी बहाल हुई। वहीं, कस्बे के दुकानदारों ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों पर तो कैमरे लगाए हैं, लेकिन अधिकांश कैमरे सिर्फ दुकान के अंदर या सीमित एरिया को कवर करते हैं, जिससे तिराहे की गतिविधियाँ रिकॉर्ड नहीं होतीं।
पुलिस 48 घंटे बाद भी खाली हाथ
घटना के दो दिन बीत जाने के बाद भी कोतवाली पुलिस यह पता नहीं लगा पाई है कि कारतूस कहां से आए, किस उद्देश्य से रखे गए, और किसने रखे। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि रूमाल में कारतूस की जगह कोई अन्य घातक विस्फोटक सामग्री होती, तो इसका परिणाम बेहद खतरनाक हो सकता था।
क्षेत्र में डर और चर्चा का माहौल
अवैध कारतूसों के मिलने से न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि कस्बा व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी दहशत और चर्चा का माहौल है। लोग यह जानना चाहते हैं कि अगर राजधानी दिल्ली में हाल ही में कार में विस्फोट जैसी घटना हो सकती है, तो सुरक्षा चूक की स्थिति में छोटे कस्बों के लोग कितने सुरक्षित हैं?










