Hamara Hathras

Latest News

हाथरस 18 नवम्बर। नवम्बर का महीना गेहूं की खेती के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी समय फसल की बुआई, खेत की तैयारी, उन्नत किस्मों का चयन, सिंचाई और उर्वरकों के उपयोग जैसे प्रमुख कार्य किए जाते हैं। किसान यदि भूमि में पर्याप्त नमी होने पर नवम्बर के पहले पखवाड़े में बुआई कर दें, तो बेहतर उत्पादन मिलता है, जबकि आवश्यकता होने पर बुआई 25 नवम्बर तक की जा सकती है। खेत की तैयारी के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने के बाद 3-4 बार कल्टीवेटर चलाकर पाटा लगाना जरूरी है, ताकि भूमि समतल और नमीयुक्त रहे। नवम्बर में बुआई के लिए सिंचित क्षेत्रों में के-1616, एचडी 3386, डीबीडब्ल्यू-187 जैसी उन्नत किस्में उपयुक्त हैं, वहीं देरी से बुआई के लिए के-9423 और एचडी 3271 जैसी किस्में बेहतर मानी जाती हैं। बीज दर खेत की दशा के अनुसार निर्धारित की जाती है—सिंचित भूमि में 100 किलो प्रति हैक्टर, देरी से बुआई में 125 किलो प्रति हैक्टर और बारानी क्षेत्रों में 75 किलो प्रति हैक्टर बीज की आवश्यकता होती है। बुआई से पहले बीजों का उपचार वीटावैक्स या कार्बेण्डाजिम से करना अनिवार्य है, ताकि बीजजनित रोगों से सुरक्षा मिल सके। गेहूं की पंक्तियों की दूरी सिंचित क्षेत्रों में 22.5 सेंटीमीटर तथा देरी से बुआई पर 15-18 सेंटीमीटर रखनी चाहिए, जबकि बीज अधिक गहराई में न बोएं, क्योंकि इससे अंकुरण प्रभावित होता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बथुआ, मोथा, जंगली जई आदि पर प्रभावी रसायनों का प्रयोग समय से करना आवश्यक है, क्योंकि खरपतवार उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। फसल को सामान्यतः 4 से 6 सिंचाइयों की जरूरत होती है, जिसमें पहली सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। उर्वरकों में सिंचित एवं समय से बोई गई फसल के लिए 150:60:50 NPK तथा देरी से बुआई हेतु 120:60:50 NPK प्रति हैक्टर देना चाहिए। जिंक की कमी होने पर 25 किलो जिंक सल्फेट बुआई के समय डालना चाहिए, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर पर्णीय छिड़काव भी किया जा सकता है। समुचित खाद, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और उन्नत किस्मों के चयन से किसान बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं और नवम्बर का महीना इसी दिशा में सबसे निर्णायक साबित होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

You cannot copy content of this page