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नई दिल्ली 16 नवंबर । लाल किला के सामने बम धमाके के मामले में जांच एजेंसियां कई डॉक्टरों के मोबाइल फोन और सीडीआर से जुड़े नेटवर्क का पता लगा रही हैं। नूंह और फरीदाबाद से कई डॉक्टरों को पकड़ा गया है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि विस्फोट के बाद से 12 से अधिक डॉक्टरों के फोन नंबर बंद हैं, जिन्हें जांच एजेंसियां ट्रेस करने की कोशिश कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें से अधिकतर अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। बम धमाके के मामले में जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है। गिरफ्तार संदिग्ध डॉक्टरों के साथ डॉक्टर मुजम्मिल के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड यानी कि सीडीआर से एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार एजेंसियों ने डॉक्टरों की एक लंबी लिस्ट तैयार की है। इसमें अल फलाह यूनिवर्सिटी से पढ़े और वहां काम करने वाले डॉक्टरों की संख्या ज्यादा है। इनमें से कई डॉक्टरों के फोन उमर के बम धमाके के बाद से बंद हैं। सूत्र बताते हैं कि करीब एक दर्जन से ज्यादा डॉक्टरों की तलाश की जा रही है, जो जैश से जुड़े इन संदिग्धों के संपर्क में थे। डॉ. शाहीन के फोन से जांच एजेंसियों को कई सबूत मिले हैं।

अल फलाह यूनिवर्सिटी की जमीन की भी प्रशासन ने गहन जांच शुरू कर दी है। इस मामले में फरीदाबाद पुलिस की सीआईए ने यूनिवर्सिटी के मालिक व ट्रस्ट कार्यालय में जाकर कागज पत्रों की जांच की। यहां पर अल फलाह यूनिवर्सिटी के मालिक जावेद अहमद सिद्दीकी रहते हैं और चैरिट्रेबल ट्रस्ट का कार्यालय भी यहीं हैं। फिरोजपुर झिरका से डॉ. मोहम्मद, नूंह शहर से डॉक्टर रिहान और पुन्हाना के सुनहेड़ा गांव से डॉ. मुस्तकीम को एक दिन पहले पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था उन्हें देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के मुताबिक, मोहम्मद 15 नवंबर को अल फलाह यूनिवर्सिटी में ड्यूटी जॉइन करने वाला था लेकिन उससे पहले दिल्ली में ब्लास्ट हो गया।

इन नारों से डॉक्टरों का किया ब्रेनवॉश

कश्मीर बनेगा दारुल इस्लाम (कश्मीर इस्लाम का घर बनेगा) और शरीयत या शहादत के दो नारों से अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों, स्टॉफ व छात्रों का ब्रेनवॉश किया जा रहा था। ये नारे आतंकी संगठन अंसर गजावत-उल-हिंद के हैं। पाकिस्तान में बैठे हैंडलर इन्हीं नारों के जरिये दिल्ली के नजदीक बनी अल फलाह यूनिवर्सिटी से ही राजधानी व आस-पास के हिस्सों को दहलाने की साजिश रच रहे हैं। पाकिस्तानी हैंडलर ये नारे डॉ. मुज्जमिल, डॉ. उमर व इनके अन्य साथियों को बताते थे। इसके बाद ये सभी डॉक्टर मिलकर आगे स्टॉफ व छात्रों को भी इसी के जरिये बरगलाने का काम करते थे।

जांच एजेंसी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आतंकी संगठन की ओर से इन नारों में खास तौर पर कश्मीर का जिक्र किया गया। ऐसा इसलिए किया गया कि कश्मीर के मूल निवासी इन डॉक्टरों को इनके कश्मीर के बारे में बातें करके ही बरगलाया जा सकता है। इसी के चलते सबसे पहले डॉ. शाहीन, फिर डॉ. मुज्जमिल और बाद में डॉ. उमर से आतंकियों व पाकिस्तानी हैंडलर ने संपर्क किया।
इनमें वर्तमान में पाकिस्तानी हैंडलर की सबसे खास कड़ी डॉ. मुज्जमिल ही था। इसके चलते उसे ही रुपये पहुंचाए जाते थे। इसके अलावा विस्फोटक खरीदकर जमा करने की जिम्मेदारी भी उसे ही दी गई थी। उसने ही अपने दो ठिकानों पर ये विस्फोटक छुपाया था।
शरीयत या शहादत के नारे से ही डॉ. उमर ने किया बम धमाका
डॉ. मुज्जमिल के 30 अक्तूबर को गिरफ्तार होने के बाद पाकिस्तानी हैंडलर का सीधा संपर्क डॉ. उमर के साथ हो गया। डॉ. उमर ने अपना मोबाइल तुरंत बंद कर दिया था। वो सोशल मीडिया के जरिये पाकिस्तानी हैंडलर से लगातार बात कर रहा था। इस दौरान लगभग 10 दिनों तक पाकिस्तानी हैंडलर ने उसे कश्मीर के लिए शरीयत या शहादत के नारे के जरिये ब्रेनवॉश किया।
जांच एजेंसी के सूत्रों की मानें तो हर दिन डॉ. उमर और पाकिस्तानी हैंडलर की कई-कई बार वीडियो कॉल पर बात हुई। इससे वो इतना अधिक उग्र हो गया कि 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास जाकर बम धमाका कर दिया और अपनी जान भी गंवा बैठा।

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