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हाथरस 04 नवंबर । केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग ने अलीगढ़ जोन में टैक्स चोरी में लिप्त पाई गई 50 बोगस फर्मों के पंजीकरण रद्द कर दिए हैं। जांच में सामने आया कि ये फर्में अस्तित्व में ही नहीं हैं और बिना किसी व्यापार के केवल फर्जी बिल जारी कर रही थीं। फर्जी इनवॉइस के जरिए करीब 80 करोड़ रुपये का कर चोरी किए जाने का मामला सामने आया है। यह कार्रवाई राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) विभाग द्वारा संदिग्ध फर्मों की सूची उपलब्ध कराने के बाद गहन जांच में की गई। बताया जा रहा है कि इन फर्मों का उपयोग मुख्य रूप से परिवहन नेटवर्क के जरिए फर्जी लेनदेन दिखाने और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का अवैध लाभ उठाने के लिए किया जा रहा था।

सीजीएसटी विभाग के सहायक आयुक्त डॉल्टन फ्रांसिस फोर्ट ने बताया कि ‘‘इन फर्मों की कोई भौतिक उपस्थिति नहीं मिली। ये बिना कारोबार के केवल फर्जी इनवॉइस जारी कर टैक्स चोरी कर रही थीं। इन मामलों की कड़ियाँ उन परिवहन कंपनियों तक भी पहुंचाई जा रही हैं, जहां इन बिलों का इस्तेमाल हुआ है।’’ सीजीएसटी अधिनियम की धारा 61 और नियम 99 के तहत इन फर्मों के रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार रिटर्न में गड़बड़ी, कम टैक्स देनदारी दिखाना और बिना लेनदेन के अधिक आईटीसी क्लेम करना प्रमुख अनियमितताएं रही हैं। बड़े घोटाले के खुलासे के बाद विभाग ने सख्ती बढ़ाते हुए अलीगढ़ जोन की सभी 20 हजार फर्मों की नए सिरे से व्यापक जांच शुरू कर दी है। इसमें वित्तीय और व्यावसायिक ट्रांजेक्शन भी शामिल किए गए हैं, ताकि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े पर पूरी तरह नकेल कसी जा सके। इसी बीच वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) में बकाया राशि का भी बड़ा मामला सामने आया है। जिले में करीब 608 करोड़ रुपये का वैट बकाया है, जिसके लिए 32,324 बकायेदारों को आरसी जारी की जा चुकी है। अब इन बकायेदारों पर भी नए नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है। जीएसटी विभाग की इस बड़ी कार्रवाई से औद्योगिक और कारोबारी जगत में हड़कंप मचा हुआ है, वहीं अधिकारी साफ कर चुके हैं कि टैक्स चोरी में लिप्त किसी भी फर्म को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

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