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हाथरस 26 अक्टूबर । जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जल शक्ति अभियान (कैच द रेन) के अन्तर्गत विकास भवन सभागार में मुख्य विकास अधिकारी पी.एन. दीक्षित की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने अभियान से संबंधित प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। सीडीओ ने बैठक की शुरुआत में सभी विभागों की उपस्थिति जानकारी प्राप्त की और सहायक अभियंता (लघु सिंचाई) दीपक कुमार को विभागवार प्रगति विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि अब तक जनपद में 45 रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पूर्ण किए जा चुके हैं। सीडीओ ने निर्देश दिए कि सभी पूर्ण कार्यों के जीपीएस कोऑर्डिनेट सहित फोटोग्राफ उपलब्ध कराए जाएँ। वन विभाग द्वारा बताया गया कि 9 जुलाई तक 500 पौधारोपण का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। वहीं एम.जी. पॉलिटेक्निक, हाथरस में 400 पौधे रोपे गए हैं और विद्यार्थियों के बीच पेंटिंग प्रतियोगिता के माध्यम से जल संरक्षण जागरूकता चलाई जा रही है। भूगर्भ जल विभाग, अलीगढ़ खंड ने जानकारी दी कि जनपद में 5 पाईजोमीटर स्थापित किए जाने हैं, जिनकी स्वीकृति निदेशक स्तर पर लंबित है। सीडीओ ने निर्देश दिए कि स्वीकृति उपरांत यह कार्य एक माह में पूर्ण किया जाए। जिला उद्यान विभाग द्वारा ड्रिप एवं मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति में 165.25 हेक्टेयर क्षेत्र में कार्य पूर्ण किए जाने की जानकारी दी गई। भूमि संरक्षण विभाग ने बताया कि खेत तालाब खुदाई के चार में से दो कार्य पूर्ण हो चुके हैं। जल निगम ग्रामीण की 171 योजनाएँ लॉक होने पर सीडीओ ने नाराज़गी जताई और कार्य में गति लाने के निर्देश दिए। इसके अलावा नगर पंचायत सहपऊ में कम्पोस्ट पिट का निर्माण पूर्ण हो गया है, जबकि सादाबाद व सासनी में पाँच सरकारी भवनों पर सोखपिट निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कराया जाएगा। एनजीओ प्रतिनिधि अखिलेश पाठक ने बताया कि अब तक 70 रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार किए जा चुके हैं। उपायुक्त श्रम एवं रोजगार विभाग को निर्देश दिया गया कि हर ग्राम पंचायत में एक निष्प्रयोज्य कूप को वर्षा जल संचयन हेतु उपयोगी बनाया जाए और जिन ग्रामों में ऐसे कुएँ नहीं हैं, वहाँ सोकपिट अथवा अन्य संरचना बनाई जाए।

मुख्य विकास अधिकारी पी.एन. दीक्षित ने कहा कि पहले हाथरस में जल की पर्याप्तता थी, परंतु अब भूजल स्तर निरंतर नीचे जा रहा है। यदि वर्षा जल संचयन, तालाब निर्माण और वृक्षारोपण जैसे उपाय नहीं किए गए, तो भविष्य में जल संकट गहराएगा। उन्होंने कहा कि “वर्षा की हर बूंद को सहेजना ही भविष्य की सुरक्षा है।” बैठक में संबंधित सभी विभागों को निर्देश दिए गए कि आगामी 30 अक्टूबर से पूर्व अपनी पूर्ण प्रगति रिपोर्ट पीपीटी एवं कोऑर्डिनेट फोटोग्राफ सहित प्रस्तुत करें। इसी के साथ बैठक का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।

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