हाथरस 21 अक्टूबर । दीपावली का पर्व इस बार हाथरस में कुछ खास रहा। निःस्वार्थ सेवा संस्थान ने इस अवसर को केवल उत्सव नहीं, बल्कि मानवता का पर्व बना दिया। संस्था के सदस्यों ने जरूरतमंद और अनाथ बच्चों के बीच पहुँचकर उनके साथ दीपावली मनाई और समाज के सामने सेवा और संवेदना की मिसाल पेश की। हर वर्ष की तरह इस बार भी संस्था ने आगरा रोड स्थित मातृछाया और नवग्रह मंदिर परिसर में दिवाली के कार्यक्रम आयोजित किए। संस्थान के सदस्यों ने बच्चों के बीच पटाखे, मिठाइयाँ, नमकीन, स्नैक्स और खाने-पीने का सामान वितरित किया। खास बात यह रही कि ये बच्चे अपने घरों से दूर रह रहे हैं, इसलिए संस्था ने उन्हें घर जैसा स्नेह और अपनापन देकर दीपावली की सच्ची भावना को जीवंत किया। कार्यक्रम के दौरान संस्थान के पदाधिकारियों ने बच्चों के साथ खेल-कूद किए, पटाखे फोड़े और दीप जलाए। माहौल में खुशी, उत्साह और अपनापन झलक उठा। बच्चों के चेहरों पर जो मुस्कान आई, वही इस आयोजन का सबसे बड़ा पुरस्कार बन गई। कार्यक्रम का एक भावनात्मक पल तब आया जब संस्थान के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल की धर्मपत्नी श्रीमती अंजलि अग्रवाल का जन्मदिन भी बच्चों के साथ मनाया गया। उन्होंने बच्चों के बीच जाकर केक काटा और उनके साथ हँसी-खुशी के पल साझा किए। बच्चों ने तालियों और गीतों से इस अवसर को और भी खास बना दिया। संस्थान का उद्देश्य था कि दीपावली की रौशनी केवल घरों तक सीमित न रहे, बल्कि उन चेहरों तक भी पहुँचे जो अक्सर त्योहारों की खुशियों से वंचित रह जाते हैं। संस्था के इस प्रयास से समाज में सेवा, सहयोग और संवेदनशीलता की भावना को नई दिशा मिली।
संस्थान के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने कहा कि दीपावली केवल दीप जलाने का त्योहार नहीं, बल्कि दिलों में उम्मीद और विश्वास की लौ जलाने का अवसर है। जब किसी बच्चे के चेहरे पर मुस्कान आती है, तभी सच्चे अर्थों में दीपावली मनाई जाती है। कार्यक्रम में अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, सचिव नीरज गोयल, कोषाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी सीए प्रतीक अग्रवाल, प्रवक्ता हिमांशु गौड़, सोशल मीडिया प्रभारी सारांश टालीवाल, सह सचिव तरुण राघव, सह सचिव निश्कर्ष गर्ग, आशीष अग्रवाल, सतेंद्र मोहन, लोकेश सिंघल, ध्रुव कोठीवाल, डॉ. रंगेश शर्मा, स्वदेश वार्ष्णेय, अवधेश कुमार बंटी, टेकपाल कुशवाह, दीपांशु वार्ष्णेय, मयंक ठाकुर, विशाल सोनी, सुलभ गर्ग, सौरभ शर्मा, आलोक अग्रवाल, यश वार्ष्णेय, मुकुंद मित्तल आदि उपस्थित रहे। संस्थान के सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि सच्ची दिवाली वही है, जब हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान हो और हर दिल में उम्मीद की रौशनी जले। निःस्वार्थ सेवा संस्थान ने इस बार भी अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता को निभाते हुए यह साबित किया कि त्योहार का असली अर्थ है — खुशियाँ बाँटना।