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हाथरस 30 सितंबर । जिले के 48 गांवों के किसानों की 322 हेक्टेयर जमीन से होकर आगरा-अलीगढ़ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे गुजरेगा। पहले चरण में 28 किलोमीटर अलीगढ़ से असरोई तक एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा। वहीं दूसरे चरण में 36.9 किलोमीटर खंदौली तक एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा। अलीगढ़ से आगरा तक बनने वाले एक्सप्रेसवे की लागत 1536.9 करोड़ रुपये है। आने वाले कुछ महीनों में अलीगढ़-आगरा के बीच की दूरी को लोग कुछ ही समय में दूर कर लिया करेंगे, क्योंकि बहुत जल्द एक और एक्सप्रेस-वे की सौगात मिलने वाली है। इसके बनने से आगरा और अलीगढ़ के बीच की दूरी मात्र एक घंटे में तय हो सकेगी। इसे लेकर जनपद के किसानों को उनकी जमीन का मुआवना मिलना भी शुरू हो गया है। दिपावली के बाद हाइवे के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए सासनी के नगला अडू और सादाबाद के नौगांव पर कंकरीट तैयार किए जाने का प्लांट तैयार हो रहा है। हाथरस होकर गुजरने वाले एक्सप्रेसवे का नाम आगरा-अलीगढ़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा। यह एक्सप्रेसवे भारत माला परियोजना के तहत तैयार हो रहा है।

दो चरणों में तैयार होगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे

एक्सप्रेसवे का पहला चरण दीपावली के बाद शुरू हो रहा है। पहले चरण में एक्सप्रेसवे की लंबाई करीब 28 किलोमीटर होगी। जिसका बजट करीब 716.5 करोड़ रुपये है। इसका निर्माण करने की जिम्मेदारी केआरसी कंपनी को दी गई है। यह अलीगढ़ से हाथरस के गांव नगला नंदराम की नगरिया तक बनाया जाएगा। एक्सप्रेसवे के दूसरे चरण का निर्माण आगरा के खंदौली से हाथरस के असरोई नगला नंदराम तक करीब 36.9 किलोमीटर का निर्माण कार्य होगा। इसे यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा। इसके लिए गाजियाबाद की कंपनी एसजीआई प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को 820.4 करोड़ का टेंडर दिया गया है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद आगरा से अलीगढ़ की दूरी महज 64.90 किलोमीटर रह जाएगी। जिसे मात्र एक घंटे में तय किया जा सकेगा। पहले चरण में अलीगढ़ के नेशनल हाईवे 509 से लेकर हाथरस जिले की सीमा से सटे गांव असरोई एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएगा। आगरा अलीगढ़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को बरेली-मथुरा हाईवे और आगरा-नोएडा यमुना एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा।

एक्सप्रेसवे की कुल लागत करीब 1536 करोड़ रुपये

आगरा अलीगढ़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को फोर लेन में बनाया जाएगा। एक्सप्रेसवे की कुल लागत करीब 1536.9 करोड़ रुपये है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी की तरफ से पहले चरण में एक्सप्रेसवे का निर्माण कराने के लिए हरियाणा के फरीदाबाद की कंपनी केआरसी इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड का को टेंडर दिया गया है। वहीं दूसरे चरण के निर्माण के लिए एसजीआई कंपनी को टेंडर दिया गया है। एक्सप्रेसवे के लिए जिले के 48 गांवों की करीब 322 हेक्टेयर जमीन को अधिग्रहण करने का काम किया जा रहा है। अधिकारियों की मानें तो अधिग्रहण में करीब 40 फीसदी से अधिक किसानों को मुआवजा भी दे दिया गया है। यह मुआवला सरकल रेट से चार गुना दिया जा रहा है। वहीं एक साल का ब्याज भी सरकल रेट के अनुसार दिए जाने की बात बताई गई है।

जनपद के इन गांवों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेसवे

तहसील सासनी के गांव विधैपुर, सिंघर्र, नगला भीका, देदामई, जसराना, लढौता, दिनावली, नगला गढू, बसगोई, हर्दपुर, सदलपुर, मौहरिया और छौंड़ा गडौआ, बीछिया, मूंगसा, टुकसान, बिसरात, धातरा खुर्द, रामगढ़, नगला नंदराम, नगला दया, कथरिया, दर्शना मुतफुर्रका, दयालपुर, केशरगढ़ी, मगटई, पटाखास, खजुरिया, लुहेटा खुर्द व कला, बमनई, विशुनदास, रतभानगढ़ी, कोरना-चमरुआ, गदाई से होकर गुजरेगा। वहीं तहसील सादाबाद के गांव नासिरपुर, कजरौठी, बिचपुरी, मीरपुर, झगरार, एदलपुर, गौगांव, सरोठ, घूंचा, कुरसंडा, दगसह, कुम्हरई, सीस्ता, कंजौली से होकर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे गुजरेगा।

एडीएम डॉ बंसत लाल अग्रवाल ने हमारा हाथरस से कहा कि कि दीपावली के बाद ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का काम तेजी के साथ शुरू हो जाएगा। किसानों को मुआवजा दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इस एक्सप्रेसवे में जिले के करीब 48 गांवों के लगभग 4800 किसानों की जमीन ली गई है। इसके निर्माण से जनपद के लोगों को भी फायदा होगा। यहां पर रोजगार के नए अवसर प्रदान हो सकेंगे। किसान सूरजपाल ने कहा कि हमारे गांव के पास पहले पहले ही जयपुर-बरेली नेशनल हाइवे गुजर रहा है। अब ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के बनने से गांव का काफी विकास होगा। यहां पर कंपनियां आएंगी। नत्थी सिंह बोले कि हमारी जमीनें तो एक्सप्रेसवे में जा रही हैं, इसका मुआवजा भी मिल रहा है, लेकिन मुआवजे के अलावा सरकार को किसान के परिवार के सदस्य को नौकरी देनी चाहिए। कामता प्रसाद ने कहा हमारे यहां से अब मथुरा-बरेली और आगरा-अलीगढ़ की दूरी काफी कम हो गई है। हाइवे बनने से इन सभी शहरों तक कुछ ही देरी में पहुंचा जा सकेगा। किसान की जमीन तो सरकार ले रही है। नेपाल सिंह बोले कि जमीन के बदले सरकार को किसान के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए, ताकि परिवार को इसका लाभ मिल सके।

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