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हाथरस 29 सितम्बर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक राधेश्याम का आज हाथरस में अंतिम संस्कार किया गया। 85 वर्ष के राधेश्याम संघ से लगभग 70 वर्षों से जुड़े थे और ब्रज प्रांत, बरेली, मेरठ, आगरा और उत्तराखंड के क्षेत्रीय छात्रावास प्रमुख के रूप में संघ की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई थीं। इसके अतिरिक्त वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में भी लंबे समय तक सक्रिय रहे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के क्षेत्रीय संगठन मंत्री के पद पर कार्य किया। उनका पार्थिव शरीर दोपहर 2 बजे बरेली से हाथरस पहुँचा और भूरापीर स्थित उनके पैतृक आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। दूर-दराज से आए हजारों लोग और संघ के विभिन्न स्तरों के पदाधिकारी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उपस्थित हुए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रामलाल ने आवास पहुंचकर दिवंगत शरीर पर शॉल ओढ़ाकर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उनकी अंतिम यात्रा भूरापीर आवास से शुरू होकर चक्की बाजार, मोती बाजार, नजिहहाई बाजार, घण्टाघर होते हुए पत्थरवाली पहुँची। इस दौरान जनसैलाब उमड़ पड़ा और श्रद्धालुओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

फोटो : श्रद्धांजलि अर्पित करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले। 

 

फोटो : श्रद्धांजलि अर्पित करते भाजपा प्रदेश महामंत्री धर्मपाल, क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा एवं अन्य।

 

फोटो : अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब।

अंतिम यात्रा में संघ और भाजपा के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य दिनेश, क्षेत्र प्रचारक महेंद्र, प्रान्त प्रचारक धर्मेंद्र, सह प्रांत प्रचारक विनोद, हरिगढ़ विभाग प्रचारक गोविंद, क्षेत्र सेवा प्रमुख धनीराम, प्रान्त प्रचार प्रमुख कीर्ति कुमार, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, बाल विकास एव पुष्टाहार मंत्री बेबीरानी मौर्य, क्षेत्र संघचालक सूर्य प्रकाश टोंक, सह क्षेत्र संघचालक नरेंद्र तनेजा, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपा शंकर, भाजपा संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, भाजपा ब्रज क्षेत्र अध्यक्ष दुर्गविजय सिंह शाक्य, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा, एबीवीपी के प्रान्त अध्यक्ष डा सौरभ सेंगर, प्रान्त संगठन मंत्री अंशुल श्रीवास्तव, सांसद अनूप प्रधान, जिला पंचायत अध्यक्ष सीमा उपाध्याय, ब्लॉक प्रमुख रामेश्वर उपाध्याय, सदर विधायक अंजुला सिंह माहौर, सिकंदराराऊ विधायक वीरेंद्र सिंह राणा, भाजपा जिलाध्यक्ष शरद महेश्वरी सहित संघ के अखिल भारतीय, क्षेत्र, विभाग व जिला के दायित्ववान कार्यकर्ता एवँ स्वयंसेवक मौजूद रहे। राधेश्याम का योगदान न केवल संघ और छात्र परिषद के लिए बल्कि समाज सेवा और युवाओं को मार्गदर्शन देने में भी अविस्मरणीय रहा। उनके निधन से संघ और समाज में अपूरणीय क्षति हुई है। अंतिम यात्रा के दौरान दिवंगत राधेश्याम का पार्थिव शरीर एबीवीपी के झंडे में लपेटा गया।

फोटो : शव को एबीवीपी के झंडे में लपेटते कार्यकर्ता।

वरिष्ठ प्रचारक राधेश्याम का जीवन परिचय

संघ के वरिष्ठ प्रचारक राधेश्याम का जन्म चार अगस्त, 1949 को उत्तर प्रदेश के हाथरस नगर में हुआ था। वे 1961 में हाथरस में स्वयंसेवक बने। कक्षा बारह तक की पढ़ाई उन्होंने हाथरस में ही पूर्ण की।
इसके बाद तत्कालीन जिला प्रचारक ज्योति जी के आग्रह पर अलीगढ़ संघ कार्यालय पर रहकर उन्होंने बीए की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1972 में बीए पूर्ण कर वे प्रचारक बने। दो वर्ष अलीगढ़ नगर में रहने के बाद बरेली नगर, जिला और फिर विभाग प्रचारक रहे। आपातकाल में वे बरेली में ही भूमिगत रहे। वर्ष 1982 से 84 तक वे अलीगढ़ विभाग प्रचारक, वर्ष 1984 में विद्यार्थी परिषद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री और फिर वर्ष 1989 में पूरे उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री बनाये गये। इस दौरान अनेक नये कार्यालय तथा बड़ी संख्या में पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने। जिन महाविद्यालयों में कभी परिषद ने छात्रसंघ चुनाव नहीं जीता था, वहां भी भगवा लहराने लगा। काम की अस्त-व्यस्तता में वे भीषण तनाव के शिकार हो गये। वर्ष 1995 में मथुरा में एक कार्यकर्ता के साथ स्कूटर पर जाते समय हुए भीषण मस्तिष्काघात से वे बेहोश हो गये। कई वर्ष तक उनका इलाज हुआ। दक्षिण की तैल चिकित्सा से कुछ ठीक होकर वे फिर काम में लग गए।

फ़ाइल फोटो : राधेश्याम।

राधेश्याम बहुत साहसी तथा उच्च मनोबल के धनी थे। मस्तिष्काघात के बाद उनके शरीर का एक भाग निष्क्रिय हो गया। मुंह से आवाज निकलनी भी बंद हो गयी। ऐसे में उन्होंने करुण हृदय होकर भगवान से कहा कि या तो वाणी दे दो या फिर प्राण ले लो। भगवान ने उन्हें निराश नहीं किया। एक दिन प्रातः छह बजे उन्हें लगा कि आकाश से कोई ज्योति उनकी तरफ आ रही है। उन्होंने अपना मुंह खोल दिया। वह ज्योति उनके मुंह में प्रविष्ट हो गयी। उनके मुंह से रामनाम निकला और वाणी खुल गयी। तब से वे प्रतिदिन एक घंटा पूजा और राम रक्षास्तोत्र का पाठ करते रहे। पिछले कुछ वर्ष से शारीरिक कष्ट के बावजूद लगातार प्रवास करते रहते थे। 28 सितंबर 2025 दिन रविवार को बरेली में उनका देहांत हुआ।

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