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हाथरस  26 सितम्बर । हाथरस पुलिस ने साइबर फ्रॉड के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए जनता को हुए लाखों रुपये के नुकसान को रोका। एसओजी टीम, थाना कोतवाली नगर और मिशन शक्ति टीम की संयुक्त कार्रवाई में करीब 1 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिन्हा के निर्देश पर चलाए जा रहे संदिग्ध व्यक्ति/वाहन चेकिंग अभियान के दौरान गंगाधाम कालोनी के पास गिरोह के सदस्यों को धर दबोचा गया। गिरफ्तार अभियुक्तों के कब्जे से 15,000 रुपये नगद, 17 एटीएम कार्ड, 8 मोबाइल फोन, 13 कूटरचित आधार कार्ड और 1 पासबुक बरामद हुई। पूछताछ में आरोपियों ने अपने संगठित गिरोह की कार्यप्रणाली का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि वे जनता को लालच देकर उनके नाम पर बैंक खाते किराये पर लेते थे और इन खातों में फ्रॉड के पैसे ट्रांसफर कराते थे। इसके बाद एटीएम कार्ड के माध्यम से पैसे निकालकर अपने हिस्से को अलग करते थे। गिरोह का संचालन मुख्य रूप से बसीम द्वारा किया जाता था, जो अन्य सदस्य अन्सार, हमजा, हाशिम, तारीफ, इरफान और अन्य सात लोगों के माध्यम से खातों में ट्रांसफर कराए गए पैसे निकालते थे। पुलिस अधीक्षक ने गिरोह का भंडाफोड़ करने वाली टीम को 25,000 रुपये का नगद पुरस्कार देकर उनकी सराहना की। टीम में प्रभारी निरीक्षक गिरीश चंद्र, एसओजी प्रभारी धीरज गौतम, उप निरीक्षक छवि नयन, महिला कॉन्स्टेबल बबली श्याम और महिला कॉन्स्टेबल प्रियंका शाक्य शामिल थे। थाना कोतवाली नगर पुलिस ने गिरफ्तार अभियुक्तों के खिलाफ मु0अ0स0-311/25 के तहत संबंधित धाराओं में आवश्यक विधिक कार्यवाही शुरू कर दी है। पुलिस अब अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए भी सक्रिय है और शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित करेगी।

आर्मी आफीसर बनकर जीतते थे लोगों का विश्वास

एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा ने बताया कि पुलिस की पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि अन्सार, हमजा, हासिम, तारीफ, इरफान द्वारा जनता के भोले-भाले लोगों को लालच देकर उनके नाम खुले बैंकों के खाते किराये पर ले लेते हैं और उनके खातों में लगे रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर व एटीएम कार्ड बसीम को दे देते हैं। जिस कार्य के लिए बसीम उनको 5000 रूपये देता है। जिसमें से 2500 रुपए खाता धारक को दे दिये जाते हैं। इसके बाद बसीम अपने ही गांव के मुस्तकीम पुत्र असर खां, आरिफ पुत्र दिलदार, अलताफ पुत्र कमर खां, इरफान पुत्र कमर खां, वारिस पुत्र दिलदार, शाहिल पुत्र आस मोहम्मद व आविद को खाता संख्या दे देता है। इन सातों लोगों द्वारा आर्मी आफीसर बनकर अपना ट्रांसफर होने की बात बताते हुए लोगों का विश्वास जीतते हैं, फिर यह जाहिर करते हैं कि चूंकि मेरा स्थानान्तरण हो गया है, इसलिये हम अपना घरेलू सामान कम कीमत पर आपको बेच देंगे। लोग कम कीमत की बात व आर्मी ऑफीसर की बातों में आकर इनके सामान को खरीदने के लिये लोन लेने के लिए बैंक खाता खुलवाते हैं। इस तरह से ये शातिर लोग भोले-भाले लोगों को अपनी बातों में फंसाकर फ्राड कर किराये के खातों में पैसे ट्रांसफर करा लेते हैं। एसपी ने यह भी बताया कि यह शातिर मेवात गैंग के सदस्य हैं।

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