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हाथरस 09 सितंबर । आज मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन ने जीत हासिल कर ली है। लोकसभा महासचिव एवं निर्वाचन अधिकारी पी. सी. मोदी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया कि इस चुनाव में कुल 767 सांसदों ने मतदान किया। इनमें से 752 वोट वैध पाए गए, जबकि 15 वोट अमान्य करार दिए गए।

गिनती के नतीजों के अनुसार, सी. पी. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। यानी स्पष्ट बहुमत के साथ सी. पी. राधाकृष्णन देश के 14वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो गए हैं। निर्वाचन अधिकारी ने यह भी बताया कि इस बार 98.2 प्रतिशत मतदान हुआ। बता दें कि इससे पहले 2022 में हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद पर जीत हासिल की थी। हालांकि, जुलाई 2025 में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।

आरएसएस से जुड़ाव और फिर सक्रिय राजनीति

महाराष्ट्र राजभवन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, 20 अक्तूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे सी पी राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री हासिल की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करके वे 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। 1996 में उन्हें तमिलनाडु में बीजेपी का सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद वह कोयंबटूर से लोकसभा सांसद बने। सांसद रहते हुए वे संसदीय स्थायी समिति (कपड़ा मंत्रालय) के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा सी पी राधाकृष्णन स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष संसदीय समिति के सदस्य थे। 2004 में सी पी राधाकृष्णन ने संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। वे ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे। 2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, जहाँ उन्होंने चार साल तक काम किया। उनके नेतृत्व में भारत से नारियल रेशा का निर्यात 2532 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया. 2020 से 2022 तक राधाकृष्णन बीजेपी के केरल प्रभारी थे।

कैसे होता है उप राष्ट्रपति का चुनाव?

उप राष्ट्रपति का चुनाव परोक्ष होता है, जिसके निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद शामिल होते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए सांसदों के साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उप राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है। ख़ास बात यह है कि दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते लेकिन वे उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं। उप राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा हो जाने के 60 दिनों के अंदर चुनाव कराना ज़रूरी होता है। इसके लिए चुनाव आयोग एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है जो मुख्यत: किसी एक सदन का महासचिव होता है।

निर्वाचन अधिकारी चुनाव को लेकर पब्लिक नोट जारी करता है और उम्मीदवारों से नामांकन मंगवाता है। उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार के पास 20 प्रस्तावक और कम से कम 20 अन्य अनुमोदक होने चाहिए। प्रस्तावक और अनुमोदक राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य ही हो सकते है। उम्मीदवार को 15 हज़ार रुपए भी जमा कराने होते हैं। इसके बाद निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं। कोई व्यक्ति भारत का उप राष्ट्रपति चुने जाने के लिए तभी योग्य होगा जब वह कुछ शर्तों को पूरा करता हो। जैसे, वह भारत का नागरिक होना चाहिए, उम्र 35 साल से कम नहीं होनी चाहिए और वह राज्यसभा के लिए चुने जाने की योग्यताओं को पूरा करता हो। अगर कोई भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद रखता है तो वह उप राष्ट्रपति चुने जाने के योग्य नहीं होगा।

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