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सादाबाद (सहपऊ) 07 दिसंबर । गांव तामसी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन परम श्रद्धेय कथावाचक पं0 ब्रजभूषण शास्त्री ने श्रद्धालुओं के बताया कि महाभारत के युद्ध के बाद काफी सालों के बाद जब अ​भिमन्यु का पुत्र परीक्षत राज्य करने योग्य हो गया तो पांचों पाण्डवों ने उसे राज्य सौंप कर हिमालय पर चले गए । भगवान श्रीकृष्ण भी कलयुग आने की जानकर वह भी पाण्डवों के पहले इस धरती से विदा हो गए । कलयुग आने के बाद एक दिन राजा परीक्षत ​शिकार करने जंगल गए। वहां पर ऋ​षि शमीक तपस्या में लीन थे। राजा पर कलयुग का प्रभाव था । उन्होंने देखा कि ऋ​षि का उनकी बातों का कोई असर नहीं हो रहा तो गुस्सा होकर राजा ने उनके गले में मरे हुआ सर्प डाल दिया । शमीक ऋ​षि के पुत्र श्रृंगी ऋ​षि ने जब यह दृश्य देखा तो उन्होने राजा परीक्षत को श्राप दे दिया कि आज के सातवें दिन उनको तक्षक सांप डस लेगा । शमीक ऋ​षि जब तप उठे तो पूरा वृतांत सुनकर दंग रहे गई। उन्होंने राजा पर इस श्राप की सूचना भेज दी। राजा ने पानी के मध्य अपना महल बनवाया और पूरा राजपाठ उनके पुत्र जनमेजय का सौंप कर गंगा के तट पर बैठकर अपने किए पास की मु​क्ति के ​लिए शुकदेव मुनि से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया । इस दौरान सिंह गिर्राज सिंह, मुकेश चौधरी, रेखा चौधरी, नागेन्द्र, नीरेश कुमार, कृष्णकांत, बनवारी सिंह, फौरन सिंह, प्रधान धर्मेन्द्र दिवाकर आदि श्रद्धालु मौजूद थे।

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