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हाथरस 06 अगस्त । रविन्दनाथ टेगोर एशिया के पहले व्यक्ति थे जिन्हैं नोवल पुरस्कार मिला उनका जन्म 1861 में कोलकाता में हुआ निधन 1941 में हुआ बचपन से ही वे साहित्य कला और संगीत में गहरी रुची रखते थे उन्होंने साहित्य और संस्कृति को समृद्धि प्रदान की वे एक मात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनी भारत का जन मन गण और बांग्लादेश का आमार सोनार बांग्ला उन्होने विश्व भारती की स्थापना की जो शिक्षा के श्रेत्र में उनके योगदान का प्रतीक है उनकी अधिकांश बेहतरीन लघु कथाएं जो विनम्र जीवन और उनके छोटे – मोटे दुखों की पड़ताल करती है उन्होंने 2000 से अधिक गीत लिखे उन्होंने प्रमुख रुप से बंगाली साहित्य को पहुंचाया तथा भारतीय संस्कृति और दर्शन पर अनेक लेख लिखे उन्होंने कहा था शिक्षा न केवल आवागमन से वरन आर्थिक , सामाजिक , राजनेतिक और मानसिक दास्ता से मुक्ति दिलाती है अत: मनुष्य को शिक्षा द्वारा उस ज्ञान का संग्रह करना चाहिए जो उसके पूर्वजों द्वारा संग्रहित किया जा चुका है उनको उनकी रचना गीतांजलि के लिए नोबल पुरस्कार मिला उनके सम्मान मे भारत सहित कई देशों ने डाकटिकट जारी किये जिनमें भारत सहित ब्राजील रुस प्रमुख हैँ ये सभी डाकटिकट संग्रहकर्ता शैलेन्द्र वार्ष्णेय सर्राफ के संग्रह में मौजूद हैं शैलेन्द्र सर्राफ ने सरकार से मांग की है कि गुरुदेव टेगोर की स्मृति में सरकार विशेष कार्यक्रम आयोजित कराकर इस महान देशभक्त को श्रध्दांजलि अर्पित करे जिससे भावी पीढी़ को प्रेरणा मिले

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