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सिकंदराराऊ (हसायन) 04 अगस्त । श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और चतुर्थ सोमवार का पावन संयोग शिवभक्तों के लिए विशेष श्रद्धा और उत्साह लेकर आया। भोर की पहली किरण के साथ ही श्रद्धालु उपवास व्रत रखकर पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार शिवालयों में पूजा-अर्चना करने पहुंचे। सूबे भर में, खासकर कस्बों व ग्रामीण अंचलों के शिव मंदिरों में अलसुबह से ही शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। सुबह करीब चार बजे से ही शिवालयों में स्थापित शिवलिंग पर पंचामृत स्नान और गंगाजल से अभिषेक प्रारंभ हुआ। भक्तों ने दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, भांग, धतूरा, काले तिल, अक्षत, फल, फूल, रोली और चंदन से भगवान शिव की पूजा की।पूरे वातावरण में “बम भोले”, “जय शिव शंकर”, “हर हर महादेव”, “जय महाकाल” के नारे गूंजते रहे। श्रद्धालु शिव चालीसा, आरती व शिव स्तुति का पाठ करते दिखाई दिए। पूजा-अर्चना का क्रम दोपहर तक निर्बाध चलता रहा। शाम को आरती व भोग लगाकर भक्तों ने उपवास का पारायण किया। श्रावण मास के अंतिम सोमवार पर गंगाघाट सोरो लहरे से पवित्र गंगाजल लाकर डाक कांवड़, कलश कांवड़, साधारण कांवड़ के माध्यम से शिव भक्तों ने शिवालयों में जलाभिषेक किया। कस्बा से लेकर देहात क्षेत्र तक के हजारों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा में शामिल हुए और जयकारों के साथ गंगाजल लेकर शिवमंदिरों की ओर दौड़ते हुए नजर आए। कांवड़ियों के दल जय महाकाल, हर हर शंभू, जय बम भोले के घोष के साथ अपनी श्रद्धा को प्रकट कर रहे थे।

 

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