हाथरस 07 जुलाई । अलीगढ़ रोड स्थित ब्रज हॉस्पिटल पर बिना प्रशिक्षित स्टाफ से इलाज कराने का गंभीर आरोप लगने के बाद अब मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के पदाधिकारी सतेन्द्र कुमार सिंह द्वारा शिकायत समाधान दिवस में दर्ज कराई गई शिकायत के बाद प्रशासन की दो सदस्यीय टीम ने शनिवार को मौके पर छापेमारी की थी। निरीक्षण के दौरान नायब तहसीलदार प्रतीक्षा कटारा और उनके सहयोगी को अस्पताल में कोई चिकित्सक या स्टाफ मौजूद नहीं मिला, जिससे प्रशासनिक अमला भी हैरान रह गया। नायब तहसीलदार ने बताया कि हालांकि अस्पताल पंजीकृत है, लेकिन वहां की स्थिति बेहद असंतोषजनक पाई गई। जांच रिपोर्ट एडीएम (न्यायिक) को भेजी जाएगी।
CMO को भेजा गया पत्र, सामने आए कई चौंकाने वाले खुलासे
आज शहर के मोहल्ला श्रीनगर नई बस्ती निवासी शहजाद आलम नूरी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को एक लिखित पत्र सौंपा है, जिसमें अस्पताल की आंतरिक गतिविधियों पर कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। शहजाद ने बताया कि जिस जगह पर यह हॉस्पिटल चल रहा है, वह जगह उन्होंने लीज पर ली थी और वहां एक रेस्टोरेंट का संचालन किया करते थे। बाद में एक व्यक्ति आकिब, जो स्वयं को डॉक्टर बताता था, उसने उन्हें हॉस्पिटल खोलने की सलाह दी और भरोसा दिलाया कि उसे और उसके गुरु डॉ मुकेश कुमार (सर्जन) का सहयोग मिलेगा। परंतु शहजाद का दावा है कि बाद में उन्हें पता चला कि न तो डॉ आकिब कोई डॉक्टर हैं और न ही डॉ मुकेश कुमार सर्जन हैं। दोनों ने मिलकर फर्जी तरीके से हॉस्पिटल खोला और सभी स्टाफ भी बिना योग्यता के रखे गए हैं।
चौंकाने वाले खुलासे
- जिन डॉक्टर्स के नाम पर कागज लगे हैं, वे वहां कार्यरत नहीं।
- जो स्टाफ इलाज कर रहा है, वह अशिक्षित व अनट्रेंड है।
- जिनके नाम पर सैलरी कट रही है, वे कभी अस्पताल में नहीं आते।
- अस्पताल के असली ऑपरेटरों का दावा : “CMO से सेटिंग है, कोई कुछ नहीं कर सकता।”
शहजाद ने आशंका जाहिर की है कि यदि भविष्य में किसी मरीज की जान को नुकसान होता है तो इसके लिए डॉ आकिब, डॉ मुकेश कुमार और CMO स्वयं जिम्मेदार होंगे। उन्होंने अनुरोध किया है कि ब्रज हॉस्पिटल की CCTV फुटेज देखकर सभी आरोपों की पुष्टि की जाए और त्वरित कार्रवाई की जाए।
अब देखने वाली बात होगी कि क्या CMO कार्यालय इस गंभीर आरोप पर निष्पक्ष जांच करेगा? क्या फर्जी डॉक्टर्स और अशिक्षित स्टाफ के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होगी? क्या प्रशासन समय रहते ऐसे अस्पतालों की गतिविधियों पर लगाम लगाएगा?