हाथरस 27 मई । उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और जूनियर इंजीनियर्स संगठन अब एकजुट होकर आंदोलन चलाएंगे। हालांकि, संघर्ष समिति ने यह स्पष्ट किया है कि आंदोलन के दौरान आम उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होने दी जाएगी। संघर्ष समिति ने कहा है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन आंदोलन की कोई आधिकारिक हड़ताल की सूचना न होने के बावजूद जानबूझकर वातावरण को तनावपूर्ण बना रहा है और कर्मचारियों को उत्पीड़नात्मक नोटिस भेज रहा है। समिति ने इस रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण ढंग से उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए चलाया जा रहा है।
पश्चिमी यूपी में आंधी-तूफान के बाद बहाल की जा रही बिजली व्यवस्था
हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और एनसीआर क्षेत्र में आए तेज आंधी-तूफान के बाद बिजली आपूर्ति बाधित हुई थी। संघर्ष समिति के निर्देश पर बिजली कर्मी तेजी से काम करते हुए प्रभावित क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति को बहाल करने में जुटे हुए हैं। समिति ने स्पष्ट किया कि अस्पताल, रेलवे, पेयजल आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होने दिया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा की प्रांतीय समिति ने भी संघर्ष समिति के आंदोलन को समर्थन देते हुए इसे उपभोक्ता हितैषी और जनपक्षीय बताया है। उन्होंने संघर्ष समिति द्वारा उपभोक्ताओं की समस्याओं को प्राथमिकता देने की नीति की सराहना की।
आंदोलन शांतिपूर्ण, लेकिन सशक्त
संघर्ष समिति ने अपने वक्तव्य में कहा कि निजीकरण के विरोध में चल रहे इस आंदोलन का उद्देश्य केवल ऊर्जा क्षेत्र के जनहितकारी स्वरूप को बनाए रखना है। समिति के अनुसार, कर्मचारी प्रबंधन से असहयोग कर रहे हैं, लेकिन उपभोक्ताओं से नहीं। बिजली से जुड़ी आम जनता की समस्याओं को प्राथमिकता से हल किया जा रहा है।
इस संयुक्त बयान पर सुमित कुमार सोनी, जितेंद्र सिंह, दुष्यंत, दिनेश सिंह, रामगोपाल, राजेश, पंकज चौबे, अजय कुमार, हरदयाल, विवेक भारती, अभिषेक राठौर, अरविंद झा, विशाल निषाद, संदीप यादव, ललित यादव, ओमपाल सिंह, अमित गुप्ता, ब्रजेश पुष्कर, चेतन चौहान, यशवीर, राहुल कुमार, रविन्द्र सिंह, आयुष कंसल, अरुण शर्मा, सुरेश चंद, लेखराज समेत कई बिजली कर्मचारियों ने हस्ताक्षर किए हैं।