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नई दिल्ली 26 मई । विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की अध्यक्षता में सोमवार को संसदीय सलाहकार समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें विदेश मामलों से जुड़े कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में सिंधु जल संधि, सीजफायर समझौता, विदेशी दबाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे विषय प्रमुख रूप से उठाए गए।

सिंधु जल संधि पर दिया भरोसा

विदेश मंत्री ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि सिंधु जल संधि को लेकर भारत जो भी निर्णय लेगा, वह ‘देशहित में और अच्छा’ होगा। उन्होंने कहा कि सरकार हर कदम सोच-समझकर और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देते हुए उठा रही है।

सीजफायर आपसी समझ से हुआ, न कि दबाव में

डॉ. जयशंकर ने बताया कि जब अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत को चेताया कि पाकिस्तान बड़ा हमला कर सकता है, तो भारत ने स्पष्ट जवाब दिया — “अगर पाकिस्तान बड़ा हमला करेगा, तो हम उससे भी बड़ा जवाब देंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीजफायर किसी बाहरी दबाव का नतीजा नहीं था, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के आपसी संवाद से संभव हुआ।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विपक्ष को जवाब

विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के महज आधे घंटे के भीतर पाकिस्तान को सूचित कर दिया गया था कि कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों पर केंद्रित है। उन्होंने अपील की कि इस जैसे संवेदनशील विषयों पर मीडिया में बयानबाजी से बचा जाए और जानकारी की आवश्यकता होने पर सीधे सरकार से संपर्क किया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है।

पाकिस्तान को नहीं मिला चीन का खुला समर्थन

डॉ. जयशंकर ने यह जानकारी भी दी कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को केवल तुर्की और अजरबैजान का खुला समर्थन मिला, जबकि चीन ने वैसा समर्थन नहीं दिया जैसा पाकिस्तान अपेक्षा कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि कई देशों ने सार्वजनिक रूप से भले ही कुछ न कहा हो, लेकिन भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का समर्थन निजी तौर पर किया है।

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