लखनऊ 20 मई । उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। राजधानी लखनऊ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सोमवार को घोषणा की कि 29 मई को देशभर में एकजुट होकर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा। यह निर्णय नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की कोर कमेटी की ऑनलाइन बैठक में लिया गया। समिति के अनुसार, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में यह आंदोलन उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में करीब 27 लाख बिजलीकर्मी उत्तर प्रदेश के साथ एकजुटता दिखाएंगे।
20 मई को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन
इससे पहले 20 मई को प्रदेश के सभी 75 जनपदों और बिजली परियोजनाओं पर व्यापक प्रदर्शन किया जाएगा। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर बिजली कर्मचारी, अभियंता और संविदा कर्मी एकत्र होकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
14 मई से चल रहा ‘वर्क टू रूल’ आंदोलन
संघर्ष समिति ने जानकारी दी कि 14 मई से ‘वर्क टू रूल’ आंदोलन भी जारी है। इसके तहत बिजलीकर्मी केवल निर्धारित कार्य समय में ही काम कर रहे हैं और उसके बाद किसी अतिरिक्त कार्य या आपात सेवा में सहयोग नहीं कर रहे हैं। समिति ने चेताया कि यदि सरकार ने इस लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने की कोशिश की, तो इसकी ज़िम्मेदारी पूरी तरह शासन की होगी।
निजीकरण की आड़ में दरों में बेतहाशा वृद्धि की आशंका
समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने सरकार और पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि, “30 प्रतिशत तक बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव निजीकरण की भूमिका का हिस्सा है। निजीकरण के बाद बिजली दरों में मनमानी बढ़ोतरी तय है।” उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन अपनी बैलेंस शीट में फर्जीवाड़ा कर घाटे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है, ताकि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया जा सके।