कानपुर 16 मई । कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट क्लिनिक में हुए घातक लापरवाही के मामले ने पूरे चिकित्सा जगत को हिला कर रख दिया है। दो शिक्षित इंजीनियरों की संदिग्ध मौत के बाद इस मामले ने बड़ा तूल पकड़ लिया है। आरोपों के घेरे में हैं डॉ. अनुष्का तिवारी, जिन पर खुद को प्लास्टिक सर्जन बताकर फर्जीवाड़ा करने और मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगा है।
पहला मामला : मयंक कटियार की मौत
फर्रुखाबाद निवासी 32 वर्षीय इंजीनियर मयंक कटियार ने नवंबर 2024 में कानपुर स्थित अनुष्का तिवारी के क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट कराया था। ऑपरेशन के बाद उन्हें चेहरे पर सूजन और असहनीय दर्द की शिकायत हुई। डॉक्टर ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया, लेकिन उनकी हालत तेजी से बिगड़ी और अगले ही दिन मयंक की मौत हो गई। उस समय परिवार ने पोस्टमार्टम नहीं कराया, लेकिन अब इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।
दूसरा मामला : विनीत दुबे की मौत
मार्च 2025 में पनकी पावर हाउस के 37 वर्षीय सहायक अभियंता विनीत दुबे ने भी इसी क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट कराया। ऑपरेशन के बाद उन्हें गंभीर संक्रमण हो गया, जिससे चेहरा सूज गया। अस्पताल में भर्ती कराने के बावजूद 15 मार्च को उनकी मौत हो गई। उनकी पत्नी जया त्रिपाठी ने सीधे तौर पर क्लिनिक और डॉक्टर की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए कानपुर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
फर्जी डिग्री का खुलासा
जांच में पता चला है कि डॉ. अनुष्का तिवारी के पास केवल बीडीएस (डेंटल) की डिग्री है, जो उन्होंने फरीदाबाद के मानव रचना डेंटल कॉलेज से प्राप्त की थी। उन्हें प्लास्टिक सर्जन के रूप में पेश करना न केवल भ्रामक है बल्कि गैरकानूनी भी है। उनके पति सौरभ तिवारी, जो एमडीएस हैं, इस क्लिनिक में उनके सहयोगी बताए जाते हैं। क्लिनिक पर ‘हेयर ट्रांसप्लांट सेंटर’ और ‘प्लास्टिक सर्जन’ जैसे भ्रामक बोर्ड लगे हुए थे।
पुलिस जांच तेज, डॉक्टर फरार
कानपुर पुलिस ने डॉ. अनुष्का तिवारी के खिलाफ मेडिकल लापरवाही और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। फिलहाल डॉक्टर फरार हैं और उनका मोबाइल फोन भी बंद है। पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए कई जिलों में दबिश दी है। सीएमओ कार्यालय से उनकी डिग्री और रजिस्ट्रेशन की जांच रिपोर्ट भी तलब की गई है।
अन्य मरीजों ने भी की शिकायत
अब तक दो अन्य मरीजों ने भी डॉ. अनुष्का के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जिनमें से एक का इलाज अभी लखनऊ में चल रहा है। यह घटनाएं चिकित्सा क्षेत्र में फर्जीवाड़े और क्वालिफिकेशन के बिना चल रहे क्लिनिकों की पोल खोलती हैं।