हाथरस 14 मई । सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के परिणाम आने के साथ ही छात्रों और अभिभावकों के सामने सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है — अब कौन-सा विषय चुनें? इस संदर्भ में एसआरबी स्कूल, हाथरस के अनुभवी शिक्षक अनिल कुशवाह, जिन्हें छात्र ‘क्रेकर सर’ के नाम से जानते हैं, ने बच्चों को विषय चयन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
विषय चयन एक निर्णायक मोड़
अनिल कुशवाह ने बताया कि 10वीं के बाद का समय किसी भी छात्र के जीवन में सुनियोजित भविष्य निर्माण का आरंभिक चरण होता है। यह वह समय होता है जब एक बच्चा अपनी रुचियों, क्षमताओं और करियर लक्ष्यों के आधार पर अपनी आगामी शैक्षणिक यात्रा की दिशा तय करता है।
स्ट्रीम का सही चुनाव क्यों है ज़रूरी?
11वीं में छात्र को मुख्यतः चार विकल्पों में से एक चुनना होता है :
- विज्ञान (साइंस) – इंजीनियरिंग, मेडिकल, रिसर्च आदि के लिए
- वाणिज्य (कॉमर्स) – बिजनेस, अकाउंटिंग, फाइनेंस, बैंकिंग के लिए
- कला (आर्ट्स) – सिविल सर्विस, मीडिया, साहित्य, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र आदि के लिए
- वोकेशनल कोर्सेज – तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा के लिए
गलत विषय चयन न केवल समय और संसाधनों की बर्बादी करता है, बल्कि बच्चे का आत्मविश्वास भी डगमगाता है।
तीन मुख्य आधार : रुचि, क्षमता और लक्ष्य
- रुचि : छात्र को यह समझना चाहिए कि कौन-से विषय उसे पढ़ने में आनंद देते हैं। यदि गणित और भौतिकी पसंद है, तो विज्ञान बेहतर है। यदि इतिहास, भूगोल या साहित्य रुचिकर है, तो कला स्ट्रीम उपयुक्त होगी।
- क्षमता : रुचि के साथ-साथ यह देखना भी जरूरी है कि छात्र किस विषय में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। यदि कोई छात्र बायोलॉजी में रुचि रखता है, लेकिन उसमें कमजोर है, तो उसे अतिरिक्त मेहनत करनी होगी।
- लक्ष्य : यदि कोई छात्र डॉक्टर बनना चाहता है तो उसे बायोलॉजी के साथ विज्ञान स्ट्रीम चुननी चाहिए। वहीं, यदि वह बैंकिंग या बिजनेस में जाना चाहता है तो वाणिज्य बेहतर विकल्प होगा।
अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका
अनिल कुशवाह ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में माता-पिता, शिक्षक और करियर काउंसलर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे बच्चों को समझने, मार्गदर्शन देने और प्रेरित करने का कार्य करें, ना कि उन पर अपनी इच्छाएं थोपें। सही विषय चयन के साथ बच्चे न केवल अपनी शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने सपनों को भी साकार कर सकते हैं। “हर बच्चा अद्वितीय होता है, इसलिए उसके निर्णय का सम्मान करें और उसे सही सलाह देकर आगे बढ़ने में सहयोग करें।” – क्रेकर सर