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हाथरस 24 अप्रैल । अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) जैसे शुभ अवसर पर पारंपरिक रूप से बड़े पैमाने पर विवाह समारोह आयोजित किए जाते हैं, लेकिन इन आयोजनों की आड़ में बाल विवाह जैसे दंडनीय अपराध भी हो जाते हैं, जिन्हें रोकने के लिए जिला प्रोबेशन अधिकारी सीमा मौर्या ने जनसामान्य से जागरूकता और सतर्कता बरतने की अपील की है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बालिका की न्यूनतम वैवाहिक आयु 18 वर्ष और बालक की न्यूनतम वैवाहिक आयु 21 वर्ष है। इनसे कम आयु में किया गया विवाह अवैध और दंडनीय है। इस कानून के तहत दो वर्ष का कठोर कारावास और एक लाख तक का जुर्माना का प्रावधान है।

जिला प्रोबेशन अधिकारी सीमा मौर्या ने विशेष रूप से अक्षय तृतीया के दिन आयोजित होने वाले विवाह आयोजनों में बाल विवाह की संभावना को देखते हुए आमजन से अनुरोध किया कि यदि किसी को भी बाल विवाह की सूचना मिले, तो तुरंत इसकी जानकारी 112 – यूपी पुलिस इमरजेंसी, 1098 – चाइल्ड हेल्पलाइन, 181 – महिला हेल्पलाइन, स्थानीय थाना/चौकी या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में दें।

जिला प्रशासन ने टेंट हाउस, प्रिंटिंग प्रेस, बैंड-बाजा, फोटोग्राफर, कैटरिंग सेवा, मैरिज हॉल संचालक, पुरोहित, मौलवी आदि से भी अपील की है कि वे किसी भी विवाह आयोजन से पहले वर-वधू की आयु की पुष्टि अवश्य करें। किसी भी प्रकार की सहभागिता उन्हें भी दंड के दायरे में ला सकती है। बाल विवाह सामाजिक कुरीति है और इसे रोकने की जिम्मेदारी केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है। अक्षय तृतीया जैसे शुभ पर्व को सामाजिक चेतना और बदलाव का पर्व बनाएं।

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