Hamara Hathras

Latest News

मथुरा 09 अप्रैल । इम्प्लांटोलॉजी दंत चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और विकसित क्षेत्र है जो रोगियों को खोए हुए दांतों को बहाल करने तथा उनकी मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं के निदान में मदद करता है। दरअसल, इम्प्लांटोलॉजी  खोए हुए दांतों को टाइटेनियम इम्प्लांट के साथ बदलने की कला और विज्ञान है, जो दंत चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह बातें के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल द्वारा आयोजित अतिथि व्याख्यान में डॉ. मिनास लेवेंटिस ने संकाय सदस्यों तथा छात्र-छात्राओं को बताईं।

डॉ. मिनास लेवेंटिस ( डीडीएस, एमएससी, पीएचडी) ने इम्प्लांटोलॉजी कला और विज्ञान: रोजमर्रा की चुनौतियों को सरल बनाना विषय पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इम्प्लांटोलॉजी में वैज्ञानिक सिद्धांतों जैसे कि हड्डी के पुनर्निर्माण और ऊतक के विकास को समझकर, इम्प्लांट को सफलतापूर्वक स्थापित करने तथा बनाए रखने की तकनीकें विकसित की जाती हैं। दंत चिकित्सक को रोगी की विशिष्ट आवश्यकताओं जैसे कि हड्डी की गुणवत्ता, दंत संरचना और सौंदर्यशास्त्र को ध्यान में रखते हुए उपचार योजना बनानी होती है।

डॉ. लेवेंटिस की जहां तक बात है वह डेंटिस्ट्री में डीडीएस, ओरल सर्जरी में एमएससी/क्लिनिकल स्पेशलिटी और ग्रीस के एथेंस विश्वविद्यालय के डेंटल स्कूल से ओरल पैथोबायोलॉजी में पीएचडी हैं। यह जर्मनी के हीडलबर्ग विश्वविद्यालय में पीरियोडोंटिक्स और इम्प्लांटोलॉजी में स्नातकोत्तर कार्यक्रम पूरा करने के बाद वर्तमान में मैनचेस्टर (यूके) में आईसीई पोस्टग्रेजुएट डेंटल इंस्टीट्यूट एंड हॉस्पिटल में विजिटिंग लेक्चरर के रूप में कार्य कर रहे हैं। वह ग्रीस के एथेंस विश्वविद्यालय के मेडिकल और डेंटल स्कूल से भी सम्बद्ध हैं, जहां वह प्रायोगिक और नैदानिक दोनों तरह के शोध करते हैं।

डॉ. लेवेंटिस ने बताया कि इम्प्लांटोलॉजी के कई लाभ हैं। इम्प्लांटोलॉजी खोए हुए दांतों को बहाल करने में मदद करती है, जिससे रोगी को बेहतर ढंग से खाने, बोलने और मुस्कुराने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि इम्प्लांटोलॉजी में नई तकनीकों और सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है। कम्प्यूटर-निर्देशित सर्जरी तथा तत्काल इम्प्लांट प्लेसमेंट  उपचार को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाता है।

डॉ. लेवेंटिस ने छात्र-छात्राओं को आधुनिक इम्प्लांटोलॉजी के महत्वपूर्ण स्तम्भों पर चर्चा करने के साथ बैक्टीरिया नियंत्रण, हड्डी जीव विज्ञान और नरम ऊतक प्रबंधन की बातें बताईं। इसके अलावा उन्होंने जैविक सिद्धांतों के साथ उपचार और एल्वियोलर रिज पुनर्निर्माण को बढ़ाने के सरलीकृत, अच्छी तरह से संरचित प्रोटोकॉल और अभिनव सामग्री पेश करने के उपाय सुझाए। उन्होंने कहा कि चिकित्सक इन अवधारणाओं को दैनिक अभ्यास में एकीकृत कर परिणामों को बेहतर कर सकते हैं तथा इम्प्लांट थेरेपी के लिए अपने दृष्टिकोण के लिए ठोस वर्कफ़्लो भी स्थापित कर सकते हैं।

कार्यक्रम के समापन अवसर पर के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने अतिथि वक्ता डॉ. मिनास लेवेंटिस का स्वागत किया। संस्थान के संकाय सदस्यों डॉ. विनय मोहन, डॉ. हस्ती कनकेरिया, डॉ. सोनल, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. उमेश, डॉ. अतुल, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. नवप्रीत, डॉ. अनुज गौर, डॉ. सिद्धार्थ सिसोदिया आदि ने अतिथि व्याख्यान को दंत चिकित्सा क्षेत्र के लिए बहुत उपयोगी बताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

You cannot copy content of this page