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हाथरस 08 अप्रैल । अध्यात्म मनुष्य और परम सत्ता के बीच संबंध स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है। इसके बिना मनुष्य का सर्वांगीण विकास संभव नहीं। अध्यात्म ही नैतिक उन्नति और आत्मबल का आधार है। उक्त विचार स्थानीय आगरा रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में समाजोत्थान सेवा संस्थान द्वारा आयोजित “अध्यात्म की प्राथमिक कक्षा” में व्यक्त किए गए। मुख्य वक्ता डॉ. यूएस गौड़ ने कहा कि मूर्ति पूजा के माध्यम से भक्तियोग की शुरुआत होती है, जो व्यक्ति को अध्यात्म की पहली सीढ़ी पर लाती है। मूर्ति पूजा से व्यक्ति प्रकृति में ईश्वर का दर्शन कर कर्मयोग की ओर अग्रसर होता है। कर्मयोग के पश्चात जब साधक ज्ञानयोग की ओर बढ़ता है, तब ब्रह्म के स्वरूप को पहचानने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। उन्होंने कहा, “वास्तव में अपने ‘स्व’ को पहचानकर ब्रह्म का साक्षात्कार करना ही अध्यात्म है। यह एक सतत एवं जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए एकाग्रता और निरंतर साधना आवश्यक है।”

वृंदावन निवासी श्रीकृष्ण चंडी जी महाराज ने प्रथम सत्र में जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरलता से समझाया। उन्होंने आध्यात्मिक साधना के सूत्रों की विशद व्याख्या करते हुए श्रोताओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया। कक्षा के अंतिम सत्र में त्राटक विधि से ध्यान की विधि करवाई गई, जिससे श्रोता रोमांचित हो उठे।

कार्यक्रम का शुभारंभ अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलन कर किया और कक्षा की सफलता हेतु शुभकामनाएं दीं। अतिथियों का स्वागत समाजोत्थान सेवा संस्थान के सचिव अनिल शर्मा, सरस्वती शिशु मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से अनिल वाष्णेय (प्रबंधक), आनंद गोयल (कोषाध्यक्ष), मनोज कुमार, तथा निस्वार्थ सेवा संस्थान की ओर से अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन सेवा भारती के जिलाध्यक्ष डॉ. बी. पी. सिंह द्वारा किया गया। कक्षा में नगर के अनेक गणमान्य एवं प्रबुद्ध नागरिकों की सक्रिय सहभागिता रही।

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