हाथरस 08 अप्रैल । दीवानी न्यायालय हाथरस में आगामी 11 मई दिन शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हाथरस के तत्वावधान में किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना है। इस संबंध में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश व सचिव प्रशांत कुमार ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के लंबित एवं पूर्व वादों (प्रि-लिटिगेशन मामलों) का समाधान कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आम जनता के लिए समय और खर्च दोनों की बचत का एक अनूठा अवसर है। श्री कुमार ने सभी संबंधित विभागों को लोक अदालत में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही वादों से प्रभावित नागरिकों से इस अवसर का लाभ उठाने की अपील की है।
किन-किन मामलों का निस्तारण होगा?
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण उत्तर प्रदेश के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निम्नलिखित मामलों का निस्तारण राष्ट्रीय लोक अदालत में किया जाएगा :
आपसी समझौते से निस्तारित होने वाले वाद:
बैंक ऋण और वसूली वाद, चेक बाउंस मामले (धारा 138, पराक्रम्य लिखित अधिनियम), मोटर दुर्घटना मुआवजा वाद, पारिवारिक विवाद (तलाक, भरण-पोषण आदि), भूमि अधिग्रहण और संपत्ति विवाद, सेवा, वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ और किरायेदारी से जुड़े वाद, बीमा, स्टाम्प, उपभोक्ता फोरम, उत्तराधिकार से संबंधित वाद
सुलह योग्य आपराधिक मामले :
स्थानीय विधियों के तहत शमनीय अपराध, आयुध अधिनियम, वन अधिनियम के तहत वाद, धारा 446 दंड प्रक्रिया संहिता (अंतिम रिपोर्ट) संबंधी मामले
निम्नलिखित कानूनों के तहत चालान व प्रकरण :
पुलिस अधिनियम एवं मोटर यान अधिनियम, बॉट व माप अधिनियम, दुकान एवं वाणिज्य अधिनियम, आबकारी अधिनियम, जुआ अधिनियम (गैम्बलिंग एक्ट), नगर पालिका अधिनियम के तहत चालान
अन्य महत्वपूर्ण प्रकरण :
मनरेगा से जुड़े विवाद, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, जलकर, गृहकर, राशन कार्ड, जाति/आय प्रमाण पत्र संबंधी मामले, आपदा राहत और कराधान से जुड़े विवाद
लोक अदालत क्यों महत्वपूर्ण है?
- तेज़ न्याय – वर्षों से लंबित मामले चंद घंटों में सुलझ सकते हैं
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कम खर्च – कोई अतिरिक्त कोर्ट फीस नहीं
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आपसी सहमति – दोनों पक्षों की सहमति से समाधान
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वैधानिक वैधता – लोक अदालत का निर्णय अंतिम और मान्य होता है
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हाथरस ने समस्त नागरिकों से अपील की है कि वे इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाएं और अपने लम्बित विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाएं। अधिक जानकारी एवं सहायता के लिए संबंधित न्यायालय या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय से संपर्क करें।