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हाथरस 26 मार्च । बीते छह मार्च को बागला कालेज के चीफ प्रॉक्टर एवं भूगोल के प्रवक्‍ता डा रजनीश कुमार के खिलाफ एक छात्रा ने राष्ट्रीय महिला आयोग से शिकायत की थी। दुष्कर्म के आरोप में जिलाधिकारी द्वारा संज्ञान लेने पर प्रोफ़ेसर के खिलाफ एफआईआर विभिन्‍न धाराओं में दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इस प्रकरण पिछले कई दिनों से सुर्खियों में रहा है। इस मामले में बागला कालेज की प्रबंध समिति के अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग, प्रबंधक प्रदीप कुमार बागला, सदस्य राम बिहारी अग्रवाल, सदस्य शशि बागला एवं प्राचार्य डा महावीर सिंह छौंकर ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन कॉलेज परिसर में  किया।

प्रबंध समिति ने कहा कि यह सभी को पता है कि सेठ फूलचन्द बागला (पीजी) कालेज हाथरस नगर का सबसे प्राचीन मान्यता प्राप्त डिग्री कालेज है, जिसकी स्थापना सन 1958 को हाथरस क्षेत्र को उच्च शिक्षा प्राप्त कराने के उद्देश्य से इसके संस्थापकों द्वारा की गई थी और यह सर्वमान्य तथ्य है कि महाविद्यालय ने शिक्षा एवं अनुशासन के सम्बन्ध में हाथरस ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निरन्तर प्रशंसा प्राप्त की है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में महाविद्यालय में 5000 से अधिक छात्र-छात्राएँ अध्ययनरत हैं, महाविद्यालय में 55 शिक्षक एवं 20 शिक्षिकायें कार्यरत हैं। महाविद्यालय को 5 विषयों में पोस्ट ग्रेजुयेशन की मान्यता प्राप्त है। विद्यार्थी, शिक्षक एवं पोस्ट ग्रेजुएशन की मान्यता के आधार पर यह हाथरस एवं समीपवर्ती कई जिलों के श्रेष्ठ महाविद्यालयों में से एक होने का गौरव प्राप्त करता रहा है। कालेज प्रवक्‍ता डा रजनीश के प्रकरण से पूर्व विगत वर्षों में महाविद्यालय में एक भी घटना घटित नहीं हुई है जिससे महाविद्यालय की छवि धूमिल हुई हो। महाविद्यालय ने विगत वर्षों में अनुशासन एवं नकल विहीन शिक्षा के उच्चतम मापदण्ड स्थापित किये हैं। अब कॉलेज परिसर में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होगी। कॉलेज परिसर, क्लासरूम, लाइब्रेरी एवं सभी विभागों में कैमरे लगेंगे। इसके अलावा कॉलेज में शिकायत पेटिका भी लगेगी, जिसमें कोई भी छात्रा शिकायत कर सकती है।

आरोपों का खंडन किया 

सवाल नंबर एक – वर्ष 2023 में हुई छात्रा की शिकायत पर क्यों नहीं हुई कार्यवाही ?

इस मामले में प्रबंध समिति ने बताया कि शिकायतकर्ता द्वारा एक शिकायती पत्र जिलाधिकारी हाथरस को प्रेषित किया गया था जिसकी प्रति पुलिस अधीक्षक, अध्यक्ष उच्च शिक्षा आयोग इलाहाबाद, क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी आगरा, महिला सेल की प्रदेश प्रमुख लखनऊ के साथ अध्यक्ष एवं सचिव बागला डिग्री कालेज को प्रेषित की गई थी। शिकायतकर्ता का शिकायती पत्र दिनांक 28 सितम्बर 2023 को अध्यक्ष एवं सचिव को प्राप्त हुआ था। सचिव के हाथरस से बाहर होने के कारण अध्यक्ष ने तुरन्त इस पत्र पर कार्यवाही करते हुये 29 सितम्बर 2023 को प्राचार्य को एक पत्र प्रेषित किया, जिसमें इस प्रकरण को गम्भीर मानते हुये उनसे 4 दिन में एक कमेटी गठित कर जांच कराने का आदेश दिया। प्राचार्य ने अध्यक्ष के आदेश की तुरन्त पालना करते हुऐ 29 सितम्बर 2023 को ही तीन सदस्यीय कमेंटी का गठन किया जिसमें डा राजेश कुमार (संयोजक), डा प्रीति वर्मा (सदस्य) एवं मोहम्मद दानिश को सदस्य बनाया गया।

जांच समिति ने डा रजनीश एवं शिकायतकर्ता को अपना पक्ष रखने के लिये बुलाया गया। डा रजनीश द्वारा समिति के समक्ष लिखित बयान दिया कि उन पर लगाये गये सभी आरोप अनर्गल, निराधार एवं सत्यता से परे हैं। उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि वह विगत 23 वर्षो से महाविद्यालय में अध्यापन कर रहा हूँ। विगत वर्षा में मेरे विरूद्ध कोई भी शिकायत नहीं की गई है। यह शिकायत शिक्षक संघ का अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित होने पर कुछ व्यक्तियों ने मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को खराब करने के लिये षड॒यंत्र पूर्वक की है। सम्बन्धित सीडी के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि जांच समिति उस सीडी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला से परीक्षण ‘कराके उसकी सत्यता को प्रमाणित करें।

जांच समिति द्वारा शिकायतकर्ता को अपनी शिकायत के सम्बन्ध में बयान देने हेतु बुलाया गया। पूजा सिकरवार अपने पिता के साथ समिति के समक्ष उपस्थित हुई। उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा कि उन्होंने डा रजनीश के विरूद्ध कोई शिकायत नहीं की है और न कोई पत्र प्रेषित किया है। किसी के द्वारा मेरे नाम से झूठी शिकायत की गई है। उन्होंने इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी के नाम शपथ पत्र भी समिति के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंन इस कथित शिकायती
पत्र को फर्जी बताते हुये इससे कोई सरोकार न होने का बयान दिया।

डा रजनीश एवं शिकायतकर्ता द्वारा दिये गये बयान एवं शपथ पत्र के आधार पर जांच कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि यह शिकायत डा रजनीश एवं पूजा सिकरवार को बदनाम करने के उद्देश्य से की गई है। जांच समिति ने सीडी के सम्बन्ध में अपना मन्तव्य देते हुए कहा कि स्त्री लज्जा एवं शिक्षक गरिमा को ध्यान में रखते हुए पत्र के साथ संलग्न सीडी की विश्वसनीयता की जांच फोरेंसिक लैब से कराई जाय।

प्राचार्य द्वारा जांच समिति की उक्त रिपोर्ट सचिव को प्रेषित की गई, जिसे प्रबन्ध समिति की बैठक में सचिव द्वारा सदन के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किया गया। उन्होंने सदन को बताया कि जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रबन्ध समिति द्वारा डा रजनीश के विरूद्ध कोई कार्यवाही किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता जिस पर सभी सदस्यों द्वारा अपनी सहमति प्रकट की गयी। सचिव ने कहा कि जांच समिति द्वारा प्रस्तुत सीडी की फौरेंसिक जांच करने की संस्तुति की गई है। लेकिन यह जटिल एवं दीर्धकालीन प्रतिकिया है और समिति अपने स्तर पर उक्त जांच कराने में अपने को असमर्थ पाती है। एवं उक्त सन्दर्भ में स्पष्ट रूप से जब शिकायतकर्ती द्वारा स्वयं शिकायत का समर्थन नहीं किया गया है और शिकायत किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा प्रेषित किया जाना प्रतीत होता है, इसलिये प्रबन्ध समिति इस प्रकरण को इसी स्तर पर समाप्त करने का निर्णय लेती है। इस विवरण से स्पष्ट है कि डा रजनीश प्रकरण में प्रशासन व प्रबन्ध समिति ने अपनी भूमिका का सम्यक रूप से निर्वहन किया है। प्रशासन एवं प्रबन्ध समिति की अपनी सीमायें होती हैं, उसी के अनुरूप उसे कार्यवाही करनी होती है। महाविद्यालय के किसी भी शिक्षक के विरूद्ध बिना आरोप सिद्ध किये कार्यवाही करने से शिक्षक समुदाय में असन्तोष व्याप्त होने की सम्भावना रहती है।

डा रजनीश प्रकरण में प्रशासन एवं प्रबन्ध समिति की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाने पर जिला प्रशासन की भूमिका पर भी विचार किया जाना आवश्यक है।

शिकायतकर्ता द्वारा डा रजनीश प्रकरण में जो शिकायत की गई थी वह तत्कालीन जिलाधिकारी के नाम प्रेषित थी। उसकी प्रतियां तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, उच्च शिक्षा आयोग अध्यक्ष, उच्च शिक्षाघिकारी आगरा एवं उप्र महिला सेल की अध्यक्ष एवं महाविद्यालय के अध्यक्ष एवं सचिव को प्रेषित की गई थी। उक्त शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी अर्चना वर्मा द्वारा दिनांक 30 सितम्बर 2023 को एक जांच समिति गठित की गई थी जिसमें तत्कालीन प्रभारी अधिकारी कलेक्ट्रेट प्रज्ञा यादव एवं पुलिस क्षेत्राधिकारी हाथरस को नामित किया गया था एवं 5 दिवस में सम्पूर्ण जांच आख्या मांगी गई थी। उक्त शिकायत पर क्षेत्रीय उच्च अधिकारी आगरा द्वारा भी दिनांक 29 सितम्बर 2023 को एक जांच समिति गठित की गई थी, जिसमें राजकीय महाविद्यालय कुरसण्डा (हाथरस) की प्रचार्या डा शशि कपूर एवं विद्यालय के अन्य अध्यापक को जांच अधिकारी नामित किया गया था।

दोनों जांच समितियों द्वारा महाविद्यालय परिसर में आकर उक्त प्रकरण की गम्भीरता से जांच की गई। इन दोनों जांच समितियों ने इस प्रकरण पर क्‍या आख्या प्रस्तुत की यह ज्ञात नहीं हो सका लेकिन दोनों जांच समितियों ने महाविद्यालय प्रबन्धतंत्र एवं प्राचार्य को डा रजनीश के विरूद्ध कोई कार्यवाही करने का निर्देश नहीं दिया गया, जिससे प्रतीत होता है कि जांच समितियों ने इस प्रकरण को तथ्यहीन मानते हुए अपने उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित की गई होगी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि उक्त दांनों जांच समितियों को पत्र के साथ सीडी संलग्न करके प्रेषित की गई थी। निसन्देह दोनों समितियों के सदस्यों द्वारा इस सीडी का अवलोकन किया गया होगा। यहां पर विचारणीय है कि यदि समितियां आवश्यक समझती तो प्रशासनिक स्तर पर इस सीडी की फोरेंसिक जांच भी कराने में सक्षम थी। वह जांच कराई गयी या नहीं यह ज्ञात नहीं है लेकिन प्रकरण पर कोई कार्यवाही न करने से स्पष्ट है कि इन दोनों समितियों द्वारा डा रजनीश को अपराधमुक्त किया गया। इसलिये यह कहना कि महाविद्यालय प्रशासन एवं प्रबन्ध समिति द्वारा सीडी के आधार पर कार्यवाही न करने का निर्णय लेना तर्क संगत नहीं है। इस सम्बन्ध में दोहरा मापदण्ड कैसे हो सकता है कि महाविद्यालय प्रशासन एवं प्रबन्ध समिति दोषी हैं और प्रशासन स्तर पर गठित की गई जांच समितियों द्वार कोई कार्यवाही न करना उचित है!

सवाल नंबर 2 – एफआईआर दर्ज होने के बाद ही आरोपी प्रोफ़ेसर को क्यों किया निलंबित ? पहले क्यों नहीं हटाया ?

दिनांक 6 मार्च 2025 को शिकायतकर्ती द्वारा डा रजनीश कुमार की शिकायत पर महाविद्यालय प्रशासन एवं प्रबन्ध समिति द्वारा विलम्ब से निर्णय लेने सम्बन्धी आरोप। प्रबंध समिति ने इस आरोप को भी निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ती द्वारा 6 मार्च 2025 को अध्यक्ष एवं सचिव को भेजे गये पत्र को संज्ञान में लेते हुए सचिव द्वारा तुरन्त महाविद्यालय पहुंच कर प्राचार्य से इस सम्बन्ध में वार्ता कर इस प्रकरण की जांच कर अपनी आख्या प्रस्तुत करने को कहा।
प्राचार्य ने इस सम्बन्ध में प्राथमिक जांच प्रारम्भ की थी तभी प्रशासन द्वारा इस प्रकरण को संज्ञान में लेते हुये डा रजनीश के विरूद्ध थाना हाथरस गेट में विभिन्‍न धाराओं के अन्तर्गत एफआईआर पंजीकृत की गई, जिसकी सूचना प्राचार्य द्वारा सचिव को प्रेषित की गई। प्रचार्य द्वारा उक्त सूचना प्राप्त होते ही डा रजनीश के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए सचिव ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया एवं निलम्बन अवधि तक बिना प्राचार्य की अनुमति के हाथरस नगर से बाहर जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। उक्त निलम्बन आदेश को प्रबन्ध समिति द्वारा अनुमोदित कराने हेतु सचिव द्वारा प्रबन्ध समिति की बैठक में प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से मान्य किया गया। इस प्रकार इस प्रकरण में भी प्रशासन एवं प्रबन्ध तंत्र ने त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की इसलिये विलम्ब से कार्यवाही करने का आरोप भ्रामक एवं निराधार है।

 

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