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हाथरस 18 जनवरी । घर-गगृहस्थ की जिम्मेदारियों से निवृत्त होकर या संसार से दुखी होकर अथवा जिम्मेदारियों को सुचारू रूप से न पूर्ण करने के कारण जीवनयापन के कर्मो से संन्यास लेना इतना कठिन नहीं है जितना कि सभी के मध्य रहते हुए, संसार, परिवार की जिम्मेदारी संभालते हुए, जीवन यापन के लिए कर्म करते हुए, कमल फूल के समान निर्लिप्त रहना, विषम परिस्थितियों में परिस्थितियों को श्रेष्ठ स्वस्थिति से पार करना यह किसी योद्धे से कम नहीं है। ब्रह्मा बाबा ने कर्मसन्यासी नहीं कर्मयोगी बनना सिखाया, जिसका उदाहरण प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के लाखों नर-नारी हैं। उक्त विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र की संचालिका बीके शान्ता बहिन ने ब्रह्मा बाबा के 56वें स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित अव्यक्त दिवस समारोह में व्यक्त किये। प्रातःकाल से ही आनन्दपुरी कालोनी सहजराजयोग प्रशिक्षण केन्द्र पर ब्रह्मावत्सों का आगमन आरम्भ हो गया। प्रातः कालीन नियमित विद्यार्थियों द्वारा ज्ञान-मुरली और राजयोग साधना के उपरान्त ब्रह्मा बाबा को पुष्पांजलि दी। ब्रह्मा बाबा के उठाये गये 48 विशिष्ट कदमों की जानकारी दी गई। द्वितीय सत्र में आयोजित विश्व शान्ति दिवस कार्यक्रम में मुख्य अग्निशमन अधिकारी राजकुमार वाजपेई, कवि सुखप्रीत सिंह सुक्खी, पूर्व सैनिक संघ क हाथरस अध्यक्ष सूबेदार महीपाल सिंह, सूबेदार रामवीर सिंह, पूर्ववायुसैनिक रमेश दीक्षित, यादव महासभा के अध्यक्ष एडवोकेट प्रेम सिंह, पूर्व सहकोषाधिकारी दाऊदयाल अग्रवाल, व्यवसायी अरविन्द गुप्ता सहित बड़ी दातात में उपस्थित गणमान्यजनों एवं ब्रह्मावत्सों ने ब्रह्मा बाबा को पुष्पांजली अर्पित की। बीके श्वेता बहिन ने ब्रह्मा बाबा द्वारा हीरे-जवाहरात के व्यापार से अध्यात्म के लिए समर्पित होने की दास्तान सुनाई।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अग्निशमन अधिकारी राजकुमार वाजपेई ने कहा कि जैसा कि मैं ब्रह्मा बाबा के बारे में सुन रहा था। संसार में रहकर निर्लिप्तता और त्याग, तपस्या जानकर में अभिमूत हूँ।

यादव महासभा के अध्यक्ष एडवोकेट प्रेम सिंह ने कहा कि आज मुझे इस संगठन की मातृशक्तियों के समर्पण की जानकारी हुई, यह बहुत से भगवताचार्यों से अधिक जीवन में इन गुणों को जीवन में लानें और दूसरों को गुणी जीवन बनाने का सदुप्रयास सर्वोत्तम प्रयास है। पूर्व सैनिक संघ के हाथरस अध्यक्ष सूबेदार महीपाल सिंह, सूबेदार रामवीर सिंह, पूर्ववायुसैनिक रमेश दीक्षित ने भी सम्बोधित किया। कवि सुखप्रीत सिंह सुक्खी ने कविता पाठ किया। चुप चुप नाया- “नदियों को माँ के चरणों में तर्पण करते देखा है। जब भी ले जाती थी माँ मुझको मंदिर में, चोरी-चोरी प्रभू को माँ के दर्शन करते देखा है।”

कार्यक्रम के उपरान्त बी.के. शान्ता बहिन ने सभी आगंतुक अतिथियों को शॉल पहनाकर एवं पुष्पदेकर सम्मानित किया। कार्यक्रम प्रबन्धन बीके दुर्गेश बहिन, बीके कोमल बहिन, बीके श्वेता बहिन, बीके वन्दना बहिन, बीके पूजा बहिन ने किया।

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