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सादाबाद (सहपऊ) 08 दिसंबर ।  गांव तामसी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में परम श्रद्धेय कथावाचक पं0 ब्रजभूषण शास्त्री ने कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं को सती अनसुया एवं माता सती प्रसंग बताते हुए कहा कि सती अनसूया प्रजापति कर्दम की नौ कन्याओं में से एक थी। उनकी पति-भ​क्ति सतीत्व का इतना प्रभाव था देवता भी उनके सामने नहीं आते थे। त्रेता युग श्रीराम ने उनके आश्रम जाकर उनसे भेंट की तब सती अनसूया ने माता सीता को पति का महत्व समझाया और उनके वस्त्र भेंट किए जो कभी गंदे नहीं होते थे। कथा के दूसरे प्रसंग में शास्त्री माता सती का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि जब माता ने उनके​ पिता दक्ष के यज्ञ में उनके पति भगवान शंकर का अपमान होता देखा तो उनसे यह सहन नहीं हुआ वह वहीं पर भस्म हो गई। भगवान शंकर आज्ञा स वीरभद्र ने प्रजापति दक्ष को यज्ञ विध्वंस कर दिया। सती के जले शव को ​लेकर संसार विचरने लगे तो भगवान विष्णु की आज्ञा से सुदर्शन चक्र की सती शव 52 टुकड़ो में वि​​भिक्त कर दिए जो जिस स्थान पर गिरा वहीं पर मां सती देवी की रूप में विराजमान हो गई। भारत में 52 श​क्तिपीठ में प्रसिद्ध है। इसके बाद ​शिव तपस्या में लीन हो गए। इस दौरान मास्टर गिर्राज सिंह, केके सिंह, मुकेश चौधरी, नीरेश चौधरी, विकाश चौधरी बनवारी लाल, फौरन सिंह, धर्मेन्द्र कुमार प्रधान, नागेन्द्र एवं काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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