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हाथरस 21 नवम्बर।  जिला कृषि रक्षा अधिकारी राम किशन सिंह ने बताया है कि जनपद मे मौसम में अचानक आये बदलाव को देखते हुये सरसों उत्पादक किसानों को सलाह दी जाती है कि जिस तरह का मौसम पिछले दो तीन दिन से चल रहा है उसमें सरसों की फसल पर बीमारियों/कीटों का प्रकोप होने की सम्भावना बहुत बढ़ गयी है। यदि इस तरह का मौसम कुछ दिनों रहता है तो सरसों की फसल में, तना सड़न, आरा मक्खी, चित्रित बग, पत्ती सुरंगक कीट, के प्रकोप की सम्भावना बहुत अधिक रहेगी, जिन किसान भाइयों ने सरसों के बीज को बीज शोधन दवाई से शोधन कर नही बोया हेै उन खेतों में प्रकोप अधिक मात्रा में दिखाई देगा, अधिक प्रकोप की दशा में पूरी फसल के नप्ट होने की सम्भावना है। सरसों की फसल में बीमारी/कीट के निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ने से पहले ही रसायन का छिड़काव करें।

तना सड़न/गलन रोग:- इस बीमारी के लक्षण पौधो के तनो पर उस भाग पर दिखाई देते है जो भाग भूमि के सम्पर्क में रहता है वहॉ पर सबसे पहले प्रकोप होता है तना काला होकर सड़ जाता है, तने के आगे का भाग नप्ट हो जाता है, प्रकोपित खेतों से दुर्गन्ध आती है।
नियंत्रण-थायोफिनाइट मिथाइल 70 प्रति0डब्लू0पी0 1.0 किलोग्राम अथवा कार्बेन्डाजिम 50 प्रति0 डब्लू0पी0 500 ग्राम मात्रा प्रति है0 की दर से लगभग 600-700 ली0पानी में घोलबनाकर छिडकाव करें।
आरा मक्खी:- इस कीट की सूडियॉ काले स्लेटी रंग की होती है,जो पत्तियों को किनारों से अथवा पत्तियों में छेद कर तेजी से खाती है,तीव्र प्रकोप की दशा में पूरा पौधा पत्ती विहीन हो जाता है।
नियंत्रण-आरा मक्खी एवं बालदार सूडी के लिये मैलाथियान 5 प्रति0 अथवा फैनबैलरेट 0.4 प्रति0 डी0पी0 की 20-25 किलोग्राम प्रति है0 की दर से बुरकाव करें। अथवा क्यूनालफास 25 प्रति0 ई0सी0 1.25 लीटर या मैलाथियान 50 प्रति0 ई0सी0 की 1.50 ली0 प्रति है0 की दर से लगभग 600-700 ली0पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।
चित्रित बग:- इस कीट के शिशु एवं प्रोढ चमकीले काले, नरंगी एवं लाल रंग के चकत्ते युक्त होते है, शिशु एवं प्रोढ पत्तियों, शाखाओं, तनो, फूलों एवं फलियों का रस चूसते है।
पत्ती सुरंगक कीट:- इस कीट की सूडी पत्तियों में सुरंग बनाकर हरे भाग को खाती है, जिसके फलस्वरूप पत्तियों में अनियमित आकार की सफेद रंग की रेखाए बन जाती है।
नियंत्रण- चित्रित बग एवं पत्ती सुरंगक कीट के लिये डाईमैथोऐट 30 प्रति0ई0सी0 अथवा आक्सीडेमैटॉन-मिथाइल 25 प्रति0 ई0सी0 की 1.0 ली0 अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस0एल0 2.50 एम0एल0 अथवा एजाडिरैक्टिन(नीम ऑयल) 0.15 प्रति0 ई0सी0 2.5 ली0 प्रति है0 की दर से लगभग 600-700 ली0पानी में घोलबनाकर छिडकाव करें।
कृषक भाई किसी भी कीट/रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु व्हाटसप नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित एवं अपना पता लिखकर समस्या का मैसेज भेजें, जिसका 48 घण्टें में निस्तारण आपकों प्राप्त हो जायेगा और अधिक जानकारी के लिये प्रभारी राजकीय कृषि रक्षा इकाई अथवा जनपद स्तर पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी कार्यालय में सम्पर्क करें।

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