Hamara Hathras

Latest News

मथुरा 11 नवंबर । भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविध सांस्कृतिक परम्पराओं तथा आर्थिक विविधता के समृद्ध ताने-बाने के लिए जाना जाता है, जहां उद्यमशीलता की भावना एक एकीकृत शक्ति बन जाती है। जो नवाचार को बढ़ावा देती है तथा अर्थव्यवस्था के गतिशील विकास में योगदान देती है। युवाओं में बढ़ती उद्यमशीलता की ललक राष्ट्र के विकास को गति देने के साथ ही पारम्परिक बाजारों को डिजिटल बाजारों में बदलने का काम कर रही है। उद्यमशीलता ने भौगोलिक और क्षेत्रीय सीमाओं को पार कर लिया है। यह बातें राष्ट्रीय उद्यमिता दिवस पर छात्र-छात्राओं को कीनेटिक सेज टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और सीईओ सर्वांग शुक्ला ने बताईं। जीएल बजाज में राष्ट्रीय उद्यमिता दिवस पर हुई प्रेरक उद्यमी वार्ता में सर्वांग शुक्ला के साथ ही कीनेटिक सेज टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक कुशाग्र शुक्ला ने भी अपने विचार साझा किए। उद्यमी वार्ता के शुभारम्भ से पूर्व याग्निक शर्मा ने अतिथियों सर्वांग शुक्ला तथा कुशाग्र शुक्ला का स्वागत किया। सर्वांग शुक्ला ने कहा कि मुंबई की चहल-पहल भरी सड़कों से लेकर बेंगलुरु के टेक हब और दिल्ली के सांस्कृतिक मेलजोल वाले इलाकों तक, भारत में उद्यमी सिर्फ कारोबारी नेता ही नहीं हैं, बल्कि बदलाव के आर्किटेक्ट भी हैं। उन्हें सिर्फ उनकी कॉर्पोरेट सफलताओं के लिए ही नहीं बल्कि उनके स्थानीय व्यवसायों और स्टार्टअप के लिए भी सम्मानित किया जाता है, जो समुदायों में बदलाव लाते हैं। वे सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने तथा सामाजिक विकास और सकारात्मक बदलाव में योगदान देने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हैं। कुशाग्र शुक्ला ने कहा कि भारत में राष्ट्रीय उद्यमिता दिवस कैलेंडर पर सिर्फ एक तारीख से कहीं बढ़कर है। गतिशील भावना को पहचानना राष्ट्र को आगे बढ़ाता है, जोखिम उठाने वालों, सपने देखने वालों तथा भारत के आर्थिक भाग्य को आकार देने वाले लोगों के हौसले को बढ़ाता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया की वे उद्यमशीलता की यात्रा की विविधता को अपनाएं तथा व्यवसायों और पूरे समाज को बदलने के लिए विचारों की शक्ति को स्वीकार करें। सर्वांग शुक्ला और कुशाग्र शुक्ला ने अपने उद्यमी यात्रा के अनुभव साझा किए। इसके बाद छात्र-छात्राओं के विविध प्रश्नों का समाधान भी किया। कुकी वर्सने ने राष्ट्रीय उद्यमिता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक सफल उद्यमी बनने के लिए, अपने लक्ष्यों के प्रति एक मजबूत मानसिकता रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसी दुनिया देखना चाहती हूँ जहाँ लिंग बाधा को तोड़ दे और योग्यता ही सफलता का एकमात्र मानदंड बन जाए। कार्यक्रम के अंत में सुमित अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अमित सिंह तथा समीक्षा ने अतिथियों का स्मृति चिह्न भेंटकर अभिनंदन किया। कार्यक्रम के समन्वय ब्रजेश कुमार उमर और विवेक भारद्वाज ने कार्यक्रम में सहयोग के लिए डॉ. शशि शेखर, वाइस प्रेसीडेंट, इंस्टीट्यूशन्स इनोवेशन काउंसिल आईआईसी सोनिया चौधरी तथा रामदर्शन सारस्वत का आभार माना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

You cannot copy content of this page