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18/10/2024 9:32 pm

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सिकंदराराऊ (हसायन) 18 अक्टूबर । स्थानीय कस्बा व देहात क्षेत्र में मौसम परिवर्तन के दौरान उत्पन्न हो रहे बुखार के प्रकोप अब धीरे धीरे जनमानस को शारीरिक मानसिक परेशानी के साथ जानलेवा साबित होता जा रहा है।स्थानीय कस्बा के मोहल्ला अहीरान में शुक्रवार की शाम को बुखार के प्रकोप की चपेट में आकर दो वर्षीय बच्चे की मौत हो गई।बच्चे के परिजनो ने स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय स्वास्थ्य चि​​कित्सक स्तर के कर्मचारियो पर उपचार के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सक की तैनाती होने के बाद भी स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मौजूद नही थे।इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा​धिकारी डॉ.अंकुश ​सिंह का कहना है कि वह जिले पर आयोजित मीटिंग में शामिल होने के लिए गए हुए है।उनके मीटिंग में आने के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नगला वीर सहाय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक डॉ.राहुल राजपूत कार्यरत तैनात है।उन्होने ही बच्चे की बुखार से हालात बिगडती देख बच्चे को तत्काल जिला चिकित्सालय के लिए रैफर किया गया है।बच्चे के परिजनो के द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोप बेबुनियाद है।स्थानीय कस्बा हसायन के मोहल्ला अहीरान निवासी मोरमुकुट का दो वर्षीय पुत्र नारायण सर्दी खांसी से होने के दौरान परेशान हो गया था।मृतक बच्चे के परिजनो ने बताया कि रात्रि को नारायण को खांसी होने के दौरान बुखार आ गया।बुखार आने पर रात्रि को वह कस्बा के एक अप्र​शि​क्षित झोलाछाप स्तर के चिकित्सक के यहां पर उपचार कराने के लिए भी ले गए।जहां पर अप्र​शि​क्षित चिकित्सक झोलाछाप के द्वारा उपचार किए जाने पर स्वास्थ्य लाभ हो गया।सुबह बच्चे नारायण की तबीयत अचानक फिर से बिगड गई।तो बच्चे के परिजन उसे उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर लेकर पहुंचे थे।उस वक्त चिकित्सक स्वास्थ्य कर्मचारी ने बच्चे के परिजनो से बच्चे को जिला चिकित्सालय या अन्य किसी जगह पर चिकित्सक को दिखा लेने की बात कही थी।इस दौरान बच्चे के परिजन बच्चे को लेकर अपने घर के लिए चले गए थे।दो वर्षीय नारायण की तबीयत शाम को बुखार आने पर ​फिर से बिगडने लगी।तो प​रिजन बच्चे को लेकर अप्र​शि​क्षित चिकित्सक के पास उपचार कराए जाने के लिए लेकर पहुंचे।तो बच्चे की हालात देख बच्चे को कहीं अन्यत्र ले जाने की बात कहते हुए उपचार करने से मना कर दिया।अप्र​शि​क्षित चि​कित्सक के द्वारा बच्चे का उपचार किए जाने को लेकर अपने हाथ खडे करते हुए उपचार करने से मना कर दिए जाने पर परिजन बच्चे को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंचे।तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर कोई स्वास्थ्य कर्मचारी या चिकित्सक इमरजेंसी पर तैनात कार्यरत नही दिखाई दिया।तो बच्चे के परिजन बीमार बच्चे को लेकर एक स्वास्थ्य कर्मचारी के कमरे पर पहुंचे।तो उक्त स्वास्थ्य कर्मचारी के द्वारा बच्चे की नाजुक हालात देखकर चिकित्सक डॉ.राहुल राजपूत को बुलाकर बीमार बच्चा नारायण को दिखाया।तो बच्चे नारायण की हालात बिगडती देख तत्काल बच्चे को जिला चिकित्सालय के लिए रैफर कर दिया।बच्चे के परिजनो ने बताया कि चिकित्सक के काफी देर के बाद अपने आवासीय कमरा कक्ष से आने के दौरान पन्द्रह से बीस मिनट समाप्त हो गए। चिकित्सक के रैफर करने के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से संचालित एम्बूलेस कर्मचारियो ने एम्बूलेंस को लाने में देर कर दी।बच्चे के परिजनो ने कहा कि बच्चे की मौत स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक के द्वारा समय पर देखभाल कर उपचार सुविधा का लाभ नही दिए जाने के बगैर ही उपचार करने के बजाए गंभीर हालात बताकर रैफर कर दिया गया बाद में रही सही कसर एम्बूलेंस कर्मचारियो ने पूरी कर दी।बच्चे के परिजनो ने आरोप लगाया कि अगर चिकित्सक समय पर ही बच्चे का उपचार शुरू कर देते तो बच्चे की जान बच सकती थी।

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