Hamara Hathras

06/10/2024 3:36 am

हाथरस 21 सितम्बर । अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के उपलक्ष्य में सेकसरिया सुशीला देवी पब्लिक स्कूल के सभागार में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वृंदावन से आए प्रख्यात समाजसेवी डॉ. अनुज शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में स्कूल प्रबंधक दिनेश सेकसरिया, राकेश सेकसरिया,सचिव गौरांग सेकसरिया, और प्रधानाचार्य डॉ. डी. पाटिल भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा शांति-थीम पर आधारित नाटक, गीत, और भाषण जैसी विभिन्न प्रस्तुतियां दी गईं, जो शांति के महत्व को रेखांकित करते हुए एक उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित कर रही थीं।इस मौके पर डॉ. अनुज शर्मा ने आयोजन की सराहना करते हुए स्कूल को बधाई दी और ‘वंदे बृज वसुंधरम’ से अपने व्याख्यान की शुरुआत करते हुए हिंदी भाषा के सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्रीकृष्ण की शांति दूत के रूप में भूमिका और भगवद गीता के उपदेशों की चर्चा की, जो धर्म और शांति का मार्ग दिखाते हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि जीवन एक सतत सीखने की प्रक्रिया है और भारत हमेशा शांति और वसुधैव कुटुंबकम के आदर्शों का प्रतीक रहा है। अंत में, उन्होंने ध्यान के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त कर समाज में सद्भावना बढ़ाने की बात कही।स्कूल परिसर में स्थित शांति स्तंभ पर विश्व शांति की प्रार्थना हेतु शांति पाठ का आयोजन किया गया। मोमबत्तियां प्रज्वलित कर शांति का संदेश दिया गया, और शांति के प्रतीक स्वरूप सफेद गुब्बारे आकाश में छोड़े गए।स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. जी. डी. पाटिल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “मानवता और एकता का भाव ही शांति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। विश्व शांति का रास्ता, मन की आंतरिक शांति से शुरू होकर, परिवार और समाज में शांति और विकास की दिशा में आगे बढ़ता है।”स्कूल प्रबंधक श्री दिनेश सेकसरिया ने 2024 के अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की थीम “शांति की संस्कृति का विकास” पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह सेकसरिया सुशीला देवी पब्लिक स्कूल के दृष्टिकोण से किस प्रकार मेल खाती है। उन्होंने संवाद, सहानुभूति, और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने की स्कूल की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य केवल अकादमिक सफलता प्राप्त करने वाले छात्रों को तैयार करना नहीं है, बल्कि ऐसे नागरिक तैयार करना है जो शांति के मूल्यों को आत्मसात कर सकें। कम उम्र से ही इन मूल्यों की नींव रखकर, हम उन्हें एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और सकारात्मक समाज बनाने में सक्षम बना रहे हैं।”

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