Hamara Hathras

12/09/2024 9:23 pm

Latest News

हाथरस 05 सितंबर । “भरत सरिस को राम सनेही। जगु जप राम रामु जप जेही” अर्थात भरत जी तो प्रभु के परम स्नेही है। सारा जगत श्री राम को जपता है पर भगवान श्री राम स्वयं भरत जी को जपते है अर्थात् उन्हीं के ध्यान में मगन रहते है। यह उद्गार वृंदावन धाम से पधारे परमसंत भक्तमाली श्री गौरांगदास जी महाराज जी महाराज ने यहां चक्की बाजार स्थित गोपाल धाम में आरंभ हुए श्रीराम कथा महोत्सव में प्रथम दिन व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि रामलीला में सभी कथायें अद्भुत हैं, लेकिन भरत जी का चरित्र अद्वितीय है, अगम्य है, अगौचर है। भरतलाल जी स्वयं जिनके शिष्य रहे हैं वह वशिष्ठ जी कहते हैं कि “भरत महा महिमा जलरासी। मुनि मति ठाढ़ि तीर अबला सी॥” अर्थात भरत जी चरित एक महा समुद्र है और मुनि की बुद्धि उसके तट पर अबला स्त्री के समान है। श्री गौरांगदास जी महाराज ने हाथरस भूमि को रस व संतों की नगरी बताया है। उन्होंने गृहस्थ संत ब्रजनाथ शरण अरोड़ा जी के संबंध में बताया कि एक बार पूज्य बाबू जी गोवर्धन बारे बाबा गयाप्रसाद जी पास गये। बाबा ने उन से नाम पूछा तो उन्होंने बताया कि ब्रजनाथ। बाबा महाराज बोले ब्रजनाथ तो एक ही है। तुम तो ब्रजनाथ शरण हो तभी से बाबू जी ने अपना नाम ब्रजनाथ शरण रख लिया। उन्होंनो बताया जिस नगरी स्वयं माता योगमाया विचरण करती हों वह नगरी धन्य है। जब जगन्नाथपुरी से महाप्रभु वृन्दावन पधारे हैं तो हाथरस से ही होकर गये हैं। मीराबाई भी जब पुष्कर से वृन्दावन आई थी तो हाथरस में ही प्रवास करते हुए वृन्दावन पहुंची है। हाथरस में ही तमाम रसिक और संतों ने अवतरण लिया है। इस अवसर पर पं. भोलाशंकर, रघुनन्दन शरण अरोड़ा, आशीष जैन, विकास अग्रवाल, रोचक जैन, सुग्रीव सिंह राणा, रामवल्लभ शर्मा, प्रिया जी गारमेंट्स आदि सैकड़ों की संख्या में भक्त सनातनी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

You cannot copy content of this page