Hamara Hathras

18/09/2024 6:13 pm

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हाथरस 18 अगस्त । भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व रक्षाबंधन बाजारों में रौनक बिखेर रहा है। शहर के सभी बाजारों में खरीदारी करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी। बहनों ने राखियां व मिष्ठान की खरीदारी की तो भाइयों ने बहनों को देने के लिए उपहार खरीदे। भीड़ के चलते बाजारों में रात तक जाम लगने से राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। रक्षाबंधन पर्व को लेकर बुधवार को खरीदारी करने के लिए बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही दुकानों पर खरीदारी करने के लिए ग्राहक पहुंचने लगे थे। सबसे अधिक भीड़ राखी की दुकानों पर दिखी। दुकानदारों ने भी जगह-जगह राखी की दुकानें सजा रखी हैं। बच्चों के लिए कार्टून वाली राखी का क्रेज रहा। दुकानों पर राखियां खरीदने के लिए कई जगह तो दुकानदारों के यहां सामान दिखाने वाले ही कम पड़ गए। सबसे अधिक दुकानें रामलीला मैदान, गली बख्तावर व बागला मार्ग में लगी हुई हैं।

भाई की कलाई पर सजेगी चांदी की राखी

राखियों में कई तरह की डिजाइनें दुकानों पर उपलब्ध हैं। कुछ बहनें ऐसी भी थीं जो राखी के पर्व को यादगार बनाने के लिए कुछ अलग ही सोच रही थीं। उन्होंने चांदी की राखी पर इन्वेस्ट करने में समझदारी दिखाई। ज्वैलर्स की दुकानों पर चांदी की राखी खरीदने के लिए भीड़ लगी रही। दो सौ से सात सौ रुपये तक की राखियां पसंद की गईं। ज्वैलर्स ने इस दिन चांदी का भाव छह सौ रुपये प्रति दस ग्राम बताया।

मिष्ठान व उपहार की दुकानों पर रहीं भीड़

बाजार में राखी की दुकानों के अलावा कपड़े, मिष्ठान, उपहार विक्रेताओं की दुकानों पर भी भीड़ रही। शहर के कमला बाजार, बागला मार्ग, रामलीला मैदान, बेनीगंज, गली बख्तावर, घंटाघर, नयागंज, सादाबाद गेट, मुरसान गेट, सासनी गेट सहित सभी बाजारों में भीड़ रही। वहीं तैयारियों के लिए चूड़ी, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री, ब्यूटी पार्लर, मेहंदी लगाने वालों के यहां भी महिलाएं अपनी बारी का इंतजार करती दिखीं।

नो एंट्री नहीं होने से लगता रहा जाम

शहर में खरीदारी के लिए भीड़ पर्वों पर हमेशा उमड़ती रही है। इसके बाद भी यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई इतंजाम नहीं किए जाते। नो एंट्री नहीं होने से शहर में बड़े वाहनों के बेधड़क प्रवेश से जगह-जगह जाम सुबह से लेकर रात तक लगता रहा। सबसे अधिक जाम ई-रिक्शा, चार पहिया वाहन व लोडरों के प्रवेश के चलते लगा। इससे सबसे अधिक दिक्कतें बाजार आए ग्राहकों को झेलनी पड़ी।

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