कु० राखी सिंह शब्दिता द्वारा रचित सरस्वती वंदना
शारदे माँ शारदे तू , ज्ञान हम पर वार दे । दूर कर अज्ञान का तम, अब जहां को तार दे ।। वंदना से आरती हो, लेखनी ही थाल हो । धूप दीपक काव्य का हो, छंद की जयमाल हो ।। गीत सब हो जायें अक्षत, ऐसी वीणा तान दो
होली पर शिव कुमार ‘दीपक’ की कलम ✍ से कुछ खास-
होली के रंग, दीपक के संग रंग पर्व अब देश में, लाये नई बहार । जले होलिका द्वेष की, मन में पनपे प्यार ।। रीत प्रेम सद भाव की,अदभुत एक मिसाल । प्रेम विरोधी से मिला, लेकर रंग गुलाल ।। प्रेम -रीत सद भाव का, होली का त्यौहार । आओ
रक्तदाताओं के नाम, ब्लड ग्रुप व मोबाइल नंबर
शहर के प्रमुख रक्त दाता ब्लड ग्रुप नाम नंबर A+ विकास शर्मा 7500961646 A+ राधारमन गुप्ता 8412501293 A+ राघवेन्द्र गुप्ता 9219590872 A+ वरुण गोयल 9319993350 A+ राजीव अग्रवाल 9837393222 A+ मोहित अग्निहोत्री 8126628291 A+ अखिलेश अग्रवाल 9837369371 A+ मदन लाल 8941063940 A+ संदीप चौहान 7054111651 A+ मनिकांत 9258950951 A+ अनिल
प्रोमिस डे पर विष्णु सक्सेना की कलम से कुछ खास-
हम हैं शीशे से टूट जाएंगे, तुम न आये तो रूठ जाएंगे, कोशिशें कामयाब होती है- वादे जितने हैं टूट जाएंगे। मेरे सांचे में ढल के देख ज़रा, दो क़दम साथ चल के देख ज़रा, मेरे प्रोमिज का रंग पक्का है- अपने गालों पे मल के देख ज़रा। रचनाकार-कवि विष्णु
टेडीबियर डे पर विष्णु सक्सेना की एक खास रचना-
हम अंधेरे नहीं उजाले हैं, आपके साथ रहने वाले हैं प्यार से बांह में भरो, हम भी टेडीबीयर से भोले भाले हैं ज़िंदगी ग़म से जोड़ मत देना, बुलबुला हूँ मैं फोड़ मत देना, टेडीबीयर तो इक खिलौना है- दिल समझ कर के तोड़ मत देना। रचनाकार- कवि विष्णु सक्सेना
आज चॉकलेट डे पर प्रसिद्द कवि विष्णु सक्सेना की कविता
बुझ न पाए वो प्यास मत देना, कोई लम्हा उदास मत देना, घोल दे ज़िंदगी मे कड़वाहट- ऐसी मुझको मिठास मत देना। द्वार जब दिल के खोल देती हो, सच मे मिश्री सी घोल देती हो, मुझको मिल जाती चॉकलेट तभी- जब भी मीठा सा बोल देती हो। “विष्णु सक्स्सेना”
प्रपोज डे पर कवि विष्णु सक्सेना की एक रचना
अश्क आंखों से आज बहने दो, अपना हर दर्द मुझको सहने दो, उम्र भर तुमसे जो न कह पाया आज वो बात मुझको कहने दो। आ निकल और बढ़ के देख ज़रा, तू ज़माने से लड़ के देख ज़रा, एक सागर है प्यार का मुझमे- मेरी आँखों में पढ़ के
कार के करिश्मे: काका हाथरसी
रोजाना हम बंबा पर ही घूमा करते उस दिन पहुँचे नहर किनारे वहाँ मिल गए बर्मन बाबू बाँह गले में डाल कर लिया दिल पर काबू कहने लगे- क्यों भई काका, तुम इतने मशहूर हो गए फिर भी अब तक कार नहीं ली ? ट्रेनों में धक्के खाते हो, तुमको
क्या है दाऊजी मंदिर हाथरस का इतिहास : जानने के लिए पढें
हाथरस । शहर के पूर्वी छोर पर राजा दयाराम का किला रोचक इतिहास समेटे हुए है तथा इस शहर की पहचान भी है। अंग्रेजी हुकूमत के आगे न झुकने की गवाही किले पर बने दाऊजी मंदिर की प्राचीर आज भी देता है। बताते हैं कि 1857 में क्रांतिवीरों के लिए यही
हाथरस का इतिहास
3 मई को अलीगढ़ के हाथरस तहसील में अलीगढ़ और मथुरा जिले की कुछ तहसीलों को मिलाकर हाथरस नामक एक नया जिला निर्माण करने की घोषणा की गई | हाथरस के जिला बनाने की अधिसूचना 06 मई 1997 को जारी की गई थी। हाथरस उत्तर भारत के ब्रज क्षेत्र के