साहित्य
1 min read
596

शिव कुमार ‘दीपक’ की बाल रचना

July 28, 2018
0

झूला लेकर आया सावन । हरियाली ले वर्षा आयी । बच्चों ने ली मन अंगड़ाई ।। दादुर पपिहा नाचे मोर । काली कोयल करे कनकोर ।। धानी चूँदर ओढ़े धरती । रिमझिम रिमझिम बरसा बरसी । छुक – छुक बच्चे रेल चलाते । हँसते गाते खूब नहाते ।। नदिया पोखर

Continue Reading
साहित्य
0 min read
718

अकबर सिंह अकेला की एक कविता –

July 27, 2018
0

वर्षा झमझम हो रही, मौसम भी परवान। हवा निराली चल रही, पंछी गाउत गान।। दिन में अँधियारी झुकी, बिल्कुल रात समान। लुका छिपी बदरा करें, सूरज अंतर ध्यान।। सांय काल में लग रहा, कबहुं न बरसो नीर | धूप खिली राहत मिली, बदलो रुखहिं समीर || अकबर सिंह अकेला मानिकपुर,

Continue Reading
साहित्य
1 min read
871

यशोधरा यादव ‘यशो’का एक नवगीत

July 15, 2018
0

लेखनी कुछ गीत लिख दुःखित जन को प्रीति लिख . कामनाओं की लता जब पुष्प से सज्जित हुई यंत्रवत कर्मों से हटकर प्रीति प्रतिबिम्बत हुई छंद के स्वर्णिम सवेरों की नयी रणनीति लिख लेखनी………… सूखते संबंध की टहनी पर कलियां खिल उठें बैठे जो अनजान बन मन मीत बन मिल

Continue Reading
साहित्य
1 min read
460

कु० राखी सिंह शब्दिता की गजल

July 3, 2018
0

ग़ज़ल तुमको भी मुहब्बत है बता क्यूं नहीं देते । रस्मों को वफ़ाओं की निभा क्यूं नहीं देते ।। हंसकर के मुझे देते हैं वो दर्दे- जुदाई ; ज़ख्मों की मगर मुझको दवा क्यूं नहीं देते ।। आँखों में कहीं दर्द समन्दर सा है गहरा ; जी भर के मुझे

Continue Reading
साहित्य
1 min read
580

शिव कुमार ‘दीपक’ की कुंडलियां

June 30, 2018
0

पानी की महिमा बड़ी , पानी जग का सार । समझो वह बेकार है , जो ना पानीदार ।। जो ना पानीदार ,नदी,नल,सर, तरु,जलधर । करें नही सम्मान ,नाव ,नर ,शकुची ,नभचर। कहता ‘दीपक’ सत्य , बताते सुर ,नर ज्ञानी । पंच तत्व में एक ,मुख्य जीवन हित पानी ।-१

Continue Reading
साहित्य
1 min read
551

‘आह का अनुवाद’ गीतकार – इन्द्रपाल सिंह “इन्द्र”

June 30, 2018
0

——आह का अनुवाद—– अश्रु की गंगा नयन से पीर ने जब-जब उतारी, याद आती है तुम्हारी….याद आती है तुम्हारी…. मौन साधा है अधर ने पूर्ण है पर बात सारी, याद आती है तुम्हारी ….याद आती है तुम्हारी…. प्यार का संसार था वो कल्प मुझको याद है, सुर्ख अधरों की छुअन

Continue Reading
साहित्य
1 min read
722

मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता अवशेष मानवतावादी द्वारा

June 30, 2018
0

मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता …………………………………………… मंदसौर की घटना ने फिर से जनमानस हिला दिया। तार तार मानवता कर दी दानवता को खिला दिया।। आग क्रोध की लगी जहन में पीड़ा से है त्रस्त कलम। बोलो घायल मानवता पर कौन लगाएगा मरहम।। छोटी सी मासूम परी पर दुष्ट दरिंदे

Continue Reading
साहित्य
1 min read
508

यशोधरा यादव ‘यशो’ का नव गीत “सम्बोधनों के मौन”

June 28, 2018
1

हो गये हैं शब्द क्यों सम्बोधनों के मौन . खींचता नैराश्य जग में जिन्दगी को कौन. खिलखिलाहट हो गई गुजरे समय की बात , अब नहीं होती रसिक मनु हार की बरसात, भूल कर उद्बोधनों को अधर बैठे मौन. व्यर्थ की आसक्ति मन में भय का ताण्डव है रंजिशों के

Continue Reading
साहित्य
1 min read
454

संजीव गौतम की ग़ज़लें

June 28, 2018
0

एक दरोगा है वो दुनिया का दरोगाई दिखाता है। जिसे चाहे बनाता है, जिसे चाहे मिटाता है। अमन के दुश्मनों को रात में वो देके बंदूके, सुबह से फिर वयम रक्षाम का नारा लगाता है। सियासत का खिलाड़ी है बड़ी चतुराई से देखो, रियासत को लुटाकर वोट की फसलें उगाता

Continue Reading
साहित्य
1 min read
464

अकबर सिंह अकेला की कविता पानी – पानी

June 28, 2018
0

पानी पानी नहिं रहा, पानी बना विशेष | मात भारती कौ भुवहिं, रूप कुरूपहिं भेष ||1|| तापमान की बेरुखी, इसकी कुत्सित चाल | जन मानस का हो रहा, हाल यहाँ बेहाल ||2|| पेड़ काटि हमने दिए, किनको दैहैं दोष | नदियाँ नाले सूखिहै, दुर बरखाई कोष ||3|| फट- फट मोटर

Continue Reading