
हाथरस 28 दिसंबर । शहर के गौशाला रोड स्थित सावन कृपाल रूहानी मिशन की शाखा कृपाल आश्रम पर आज साप्ताहिक सत्संग का आयोजन श्रद्धा एवं शांति के वातावरण में सम्पन्न हुआ। सत्संग की शुरुआत सत्संग दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज की गुरु बाणी से हुई। संत दर्शन सिंह जी महाराज ने गुरु बाणी के माध्यम से समझाया कि “एक पिता एकस के हम बालक” अर्थात हम सभी उसी एक परम पिता परमेश्वर की संतान हैं। इसलिए हमें आपसी प्रेम, भाईचारे और एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहभागी बनकर जीवन व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह इंसानी चोला प्रभु की दी हुई एक अनमोल देन है, जिसे केवल दुनियावी आवश्यकताओं में ही व्यर्थ नहीं करना चाहिए। यह चौरासी लाख योनियों में सबसे दुर्लभ और बहुमूल्य योनी है, जिसमें रहकर मनुष्य अपने जीवन के मूल उद्देश्य—स्वयं को जानना और प्रभु को पाना को सहजता से प्राप्त कर सकता है। फरिश्ते भी इस नर-नारायण रूपी चोले को पाने की इच्छा रखते हैं।
इसके पश्चात मिशन के प्रमुख एवं विश्व आध्यात्मिक सतगुरु संत राजिंदर सिंह जी महाराज ने सत्संग प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्रभु न तो आकाश में हैं, न जंगलों में, न समुद्र की गहराइयों में और न ही पहाड़ों में—प्रभु हमारे भीतर ही विराजमान हैं। इसी शरीर में आत्मा और मन दोनों स्थित हैं। महाराज जी ने बताया कि जब पूर्ण संत सतगुरु द्वारा नाम रूपी दात प्राप्त होती है, तब साधक प्रभु को पाने के योग्य बनता है। प्रभु का शब्द ज्योति और श्रुति के रूप में हमारे भीतर ही विद्यमान है, लेकिन हमारा ध्यान बाहरी संसार में उलझा रहने के कारण हम उस दिव्य स्वरूप का अनुभव नहीं कर पाते। सत्संग के पश्चात दिनांक 7 दिसंबर को आगरा सेंटर पर आयोजित बाल सत्संग शिविर में प्रतिभाग करने वाले बच्चों को शाखा हाथरस के अध्यक्ष निरंजन लाल अग्रवाल द्वारा प्रमाण पत्र एवं मेडल वितरित किए गए। आज के दिन आश्रम में अन्य सेवा गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं, जिनमें बाल सत्संग, विभिन्न रोगों से ग्रसित जरूरतमंद भाई-बहनों हेतु निःशुल्क रक्तचाप एवं मधुमेह जांच, साथ ही निःशुल्क एलोपैथिक एवं होम्योपैथिक दवाओं का वितरण शामिल रहा। समस्त साध संगत ने बड़े ही शांति एवं प्रेम भाव से सत्संग का श्रवण किया। सत्संग के उपरांत सभी श्रद्धालुओं के लिए लंगर प्रसाद का भी वितरण किया गया।












