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हाथरस 22 दिसंबर । श्री रामेश्वरदास अग्रवाल कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 21 एवं 22 दिसंबर 2025 को आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन समारोह भव्य रूप से संपन्न हुआ। समापन सत्र के मुख्य अतिथि मंगलायतन विश्वविद्यालय अलीगढ़ के कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा रहे। विशिष्ट अतिथियों के रूप में मुख्य विकास अधिकारी हाथरस पी.के. दीक्षित एवं के.आर. गर्ल्स पीजी कॉलेज मथुरा की प्राचार्या प्रो. लकी गुप्ता उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुषमा यादव ने की, जबकि महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव प्रदीप कुमार गोयल भी मंचासीन रहे। अपने उद्बोधन में प्राचार्या प्रो. सुषमा यादव ने कहा कि जब तक हमारी सोच उद्यमशील एवं कौशल आधारित नहीं होगी, तब तक युवा उच्च शिक्षा के बावजूद रोजगार प्राप्ति में सफल नहीं हो पाएंगे। चुनौतियां हमें कमजोर नहीं, बल्कि सक्षम बनाती हैं। उच्च शिक्षा के साथ कौशल विकास ही युवाओं को रोजगार के लिए सशक्त बनाता है। इसके पश्चात डॉ. लीना चौहान ने सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्य विकास अधिकारी पी.के. दीक्षित ने कहा कि “विद्या ददाति विनयम्” और “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना से आज पूरा विश्व परिचित है। हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना होगा और विद्यालयी जीवन से ही स्वदेशी अपनाकर वैश्विक पहचान बनानी होगी। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर का उदाहरण देते हुए कहा कि कौशल और योग्यता के बल पर ही व्यक्ति उच्च शिखर तक पहुंच सकता है। प्रो. लकी गुप्ता ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान समय में रोजगार और कौशल का तालमेल विकसित देशों के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए आवश्यक है। आजीविका को सुदृढ़ बनाने के लिए युवाओं में कौशल अनिवार्य है। प्रख्यात वक्ता डॉ. अजय एस. सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि लगन और कौशल के बल पर उन्होंने अफ्रीका में शिक्षक के रूप में अपनी पहचान बनाई, जो युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। इस अवसर पर ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय कनाडा से डॉ. नेहा शिवहरे ने ऑनलाइन माध्यम से तथा बीएचयू वाराणसी से डॉ. भावना गुप्ता ने अपने विचार साझा किए।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि कुलपति मंगलायतन विश्वविद्यालय, अलीगढ़ प्रो. पी.के. दशोरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपने पूर्वजों के कार्यों से सीख लेनी चाहिए कि उन्होंने किस प्रकार अपने कौशल के आधार पर अपनी आजीविका को सफलतापूर्वक संचालित किया। जीवन में चुनौतियाँ हर स्तर पर आती हैं, जिनका सामना अपने भीतर कौशल विकसित कर ही किया जा सकता है। नई शिक्षा नीति 2020 के आधार पर जो रोडमैप तैयार किया गया है, उसी के अनुरूप 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। उन्होंने कहा कि हम केवल यह कहकर संतुष्ट नहीं हो सकते कि हम कभी विश्वगुरु थे। नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला और वल्लभी जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालय हमारे पास थे, लेकिन आज यह विचारणीय है कि क्या हमारे पास ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय हैं, जो हमें वैश्विक पहचान दिला सकें। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध पत्रों एवं पेटेंट पर पर्याप्त कार्य नहीं हो रहा है। हमें केवल 2047 ही नहीं, बल्कि अगले 100 वर्षों की योजना बनाकर आगे बढ़ना होगा, तभी कौशल विकास एवं रोजगार का मार्ग सुलभ होगा।

समापन अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा बेस्ट पोस्टर अवार्ड वंदना वार्ष्णेय (एमए अंग्रेजी), बेस्ट स्कॉलर रिसर्च पेपर प्रस्तुति का पुरस्कार डीएस कॉलेज अलीगढ़ की कंचन राजपूत तथा बेस्ट फैकल्टी पेपर प्रस्तुति का पुरस्कार डॉ. संतोष कुमार (कॉमर्स विभाग, पीसी बागला कॉलेज, हाथरस) को प्रदान किया गया। प्रबंध समिति सचिव प्रदीप कुमार गोयल ने कहा कि जब तक संस्थानों और उद्योगों के बीच समन्वय नहीं होगा, तब तक कौशल विकास और रोजगार सृजन संभव नहीं है। सम्मेलन के दौरान कुल पांच तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिभागियों ने शोध पत्रों के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में आयोजक सचिव डॉ. ललितेश तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सफल संचालन संयोजिका डॉ. अनामिका सिंह, सह-संयोजिका डॉ. बरखा भारद्वाज एवं सह-आयोजन सचिव डॉ. अमित भार्गव द्वारा किया गया। सम्मेलन में प्रो. संगीता अरोरा, पूर्व प्राचार्या प्रो. मीता कौशल, प्रो. मंजू वर्मा, प्रो. रंजना गुप्ता, प्रो. रंजना सिंह, समस्त महाविद्यालय परिवार एवं श्री शाकिर अली (बागला इंटर कॉलेज) का सराहनीय योगदान रहा। इस दौरान मंगलायतन विश्वविद्यालय में जैवप्रौद्योगिकी और जीवन विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सोनी सिंह एवं कंप्यूटर इंजीनियरिंग और एप्लिकेशन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लव कुमार विशेष रूप से मौजूद रहे।

 

 

 

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