
हाथरस 21 दिसंबर । हाथरस में पंजाबी समुदाय ने दिल्ली के झंडेवालान स्थित एक पौराणिक मंदिर-दरगाह के ध्वस्तीकरण के विरोध में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया। यह कार्रवाई 29 नवंबर को हुई थी। आज श्री रतन मंडल हाथरस ने भजन-कीर्तन भी किया। ज्ञापन में बताया गया है कि डीडीए और एमसीडी के अधिकारी भारी पुलिस बल और स्थानीय एसडीएम के साथ अचानक मंदिर-दरगाह पहुंचे। उन्होंने आसपास के कुछ मकानों को तोड़ने की बात कही और मंदिर की बाउंड्रीवाल, तुलसी वाटिका, पानी की टंकियां, सीवर लाइन, अस्थायी लंगर हॉल, बिजली पैनल रूम, जनरेटर रूम और लोहे के गेट सहित धार्मिक उपयोग में आने वाले कई निर्माण ध्वस्त कर दिए। इस कार्रवाई के कारण लगभग 15 घंटे तक भगवान का भोग, नित्य नियम, आरतियां और अन्य सभी धार्मिक कार्यक्रम बाधित रहे।मंदिर-दरगाह प्रबंधन का दावा है कि यह स्थान 3803 वर्ग गज भूमि पर स्थित है, जिस पर 1948 से उनका कब्जा है और 1973 से विधिवत लीज भी उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सीमा के बाहर किसी से कोई विवाद नहीं है।
ज्ञापन सौंपने वालों में मंदिर दरगाह श्री बाबा पीर रतननाथ जी (पेशावर वाले) नेहरू नगर हाथरस के प्रबंधक गुलशन अरोड़ा, हरिओम अरोड़ा, केशव अरोड़ा, रोहताश मिश्रा, कपिल अरोड़ा, कुशल, रवि, आशीष पंडित, संदीप खुराना, कपिल खुराना, जोगिंद्र मलिक, इंद्र कुमार, राजा मलिक, अनिल मलिक, नवीन सबलोक, डब्बु कालरा, सुमन अरोड़ा, ज्योत्सना अरोड़ा, उषा मलिक, सुदेश खुराना, कांता, आरती, सोनिया नारंग, मंजू, भारती, रेखा, नीलम, गुलाटी, रानी, सुदेश, आशा, रोजी, पायल, रेनू, सुनीता, काजल, अमरजीत, रीता और कमलेश सहित दर्जनों लोग शामिल थे। अनुयायियों ने बताया कि ध्वस्तीकरण में तुलसी वाटिका पूरी तरह नष्ट कर दी गई और भंडार गृह पर भी कब्जा कर लिया गया। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस स्थान पर एक विशाल मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं।









