
हाथरस 17 दिसंबर । जिला अस्पताल में सीटी (कंप्यूटेड टॉमोग्राफी) स्कैन सुविधा के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। चिकित्सकीय परामर्श के बिना ही मरीज सीटी स्कैन कराने का दबाव बना रहे हैं। जब चिकित्सक मना करते हैं तो जुगाड़ और दलालों के सहारे स्कैन कराए जाने की कोशिश की जाती है। स्थिति यह है कि जिला अस्पताल में रोजाना होने वाले करीब 40 सीटी स्कैन में से लगभग एक तिहाई जबरन या अनावश्यक बताए जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार किसी भी दर्द या आंतरिक समस्या की स्थिति में मरीज स्वयं या फिर अप्रशिक्षित चिकित्सकों की सलाह पर सीधे सीटी स्कैन कराने की मांग करने लगते हैं। रोजाना एक दर्जन से अधिक मरीज केवल सीटी स्कैन के लिए ओपीडी में पहुंचते हैं, जिन्हें समझाना चिकित्सकों के लिए चुनौती बन गया है।
सीटी स्कैन से बढ़ता रेडिएशन का खतरा
जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एस.के. गुप्ता ने बताया कि विशेष परिस्थितियों में सीटी स्कैन आवश्यक है, लेकिन बिना कारण बार-बार स्कैन कराना खतरनाक हो सकता है। एक्स-रे की तुलना में सीटी स्कैन से तीन से दस गुना तक अधिक हानिकारक रेडिएशन निकलता है। बार-बार रेडिएशन के संपर्क में आने से मानव ऊतकों की संरचना बदल जाती है, जिससे कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
रोजाना 110 एक्स-रे और 40 सीटी स्कैन
जिला अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 110 एक्स-रे और 40 सीटी स्कैन किए जा रहे हैं। सीटी स्कैन मशीन प्राइवेट कंपनी के माध्यम से संचालित है, जिस पर अस्पताल को प्रतिदिन 50 से 60 हजार रुपये तक का खर्च वहन करना पड़ता है। फिजिशियन डॉ. वरुण चौधरी ने बताया कि सर्दी, सिर दर्द या छाती संक्रमण जैसे सामान्य मामलों में भी मरीज सीधे सीटी स्कैन कराने का दबाव बनाते हैं।
एडवाइजरी जारी, वॉल पेंटिंग से दी जा रही जानकारी
लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए सीएमएस डॉ. सूर्यप्रकाश को सीटी स्कैन के दुष्प्रभावों को लेकर एडवाइजरी जारी करनी पड़ी है। अस्पताल में वॉल पेंटिंग कराई गई है और चिकित्सकों के कक्षों में भी चेतावनी सूचना लगाई गई है। सीएमएस के अनुसार बार-बार रेडिएशन के संपर्क में आने से डीएनए क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे कैंसर, फेफड़ों की कमजोरी, हड्डियों में टेढ़ापन, गर्भधारण में समस्या, गुर्दों के खराब होने का खतरा, मस्तिष्क विकास में कमी और नवजात शिशुओं में दिव्यांगता जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
सीएमएस का बयान
सीएमएस डॉ. सूर्यप्रकाश ने बताया कि लोग अकारण सीटी स्कैन कराना चाहते हैं, जबकि जिला अस्पताल के चिकित्सकों का परामर्श नहीं लिया जाता। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक स्रोतों से एक वर्ष में मानव शरीर पर लगभग 2 एमएसवी रेडिएशन का प्रभाव पड़ता है, जबकि एक बार का सीटी स्कैन इससे कई गुना अधिक असर डालता है। अस्पताल में अब केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही सीटी स्कैन कराया जा रहा है और अवांछनीय तत्वों पर भी अंकुश लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
एक्स-रे और सीटी स्कैन से निकलने वाला रेडिएशन (एमएसवी में)
-
छाती
-
एक्स-रे: 0.1 एमएसवी
-
सीटी स्कैन: 6.1 एमएसवी
-
-
दंत
-
एक्स-रे: 0.005 एमएसवी
-
सीटी स्कैन: 0.18 एमएसवी
-
-
पेट
-
एक्स-रे: 0.7 एमएसवी
-
सीटी स्कैन: 15.5 एमएसवी
-
-
रीढ़
-
एक्स-रे: 1.5 एमएसवी
-
सीटी स्कैन: 8.8 एमएसवी
-
नोट: मानव शरीर पर रेडिएशन का प्रभाव मिलीसीवर्ट (एमएसवी) में मापा जाता है।











