
हाथरस 15 दिसंबर । गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच एवं उपचार सुरक्षित प्रसव तथा स्वस्थ शिशु के जन्म का मजबूत आधार है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनपद में हाई रिस्क प्रेगनेंसी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गर्भावस्था के दौरान सभी गर्भवती महिलाओं की चार प्रसव पूर्व जांच विभिन्न स्तरों पर की जाती हैं, जिनमें ग्राम स्तर पर ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यदि गर्भवती महिला अपने पूरे गर्भकाल में चारों जांचें समय पर कराती है तो सुरक्षित प्रसव के साथ स्वस्थ शिशु का जन्म सुनिश्चित किया जा सकता है। इन जांचों के दौरान लगभग 15 से 20 प्रतिशत महिलाओं में जटिलताएं चिन्हित होती हैं, जिनका समय से उपचार कर मातृ एवं नवजात मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हाई रिस्क प्रेगनेंसी के प्रमुख कारणों में रक्तस्राव, खून की कमी, उच्च रक्तचाप, पूर्व गर्भावस्था की जटिलताएं, बाधित प्रसव, डायबिटीज, हृदय रोग, टीबी, मलेरिया जैसी बीमारियां, कम या अधिक आयु में गर्भावस्था, कम वजन एवं छोटा कद शामिल हैं। गर्भावस्था के दौरान तेज बुखार, सिर दर्द, धुंधला दिखना, चक्कर आना, शरीर में सूजन, सांस फूलना, पेट दर्द, योनि से रक्तस्राव या पानी आना तथा भ्रूण की हलचल कम होना जैसे लक्षण दिखाई देने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं का मुख्य कारण एनीमिया बताया गया है। गर्भावस्था के दौरान मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है, जिससे कई बार महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इसे रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रथम त्रैमास में फोलिक एसिड तथा द्वितीय एवं तृतीय त्रैमास में आयरन-फोलिक एसिड की गोलियां दी जाती हैं। गंभीर व मध्यम एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को आयरन सुक्रोज इंजेक्शन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला अस्पताल में उपलब्ध कराया जाता है। जिलाधिकारी हाथरस अतुल वत्स के निर्देश पर जनपद में आयरन सुक्रोज सप्ताह की शुरुआत की गई है, जिसके तहत विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को अभियान के रूप में लाभान्वित किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने सभी गर्भवती माताओं से इस अभियान का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की है। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजीव गुप्ता एवं मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजीव राय द्वारा समस्त स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देशित किया गया है कि एनीमिया ग्रसित अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर उपचार उपलब्ध कराया जाए, ताकि सुरक्षित मातृत्व एवं स्वस्थ शिशु सुनिश्चित किया जा सके।















