
हाथरस 11 दिसंबर । जिला कृषि रक्षा अधिकारी निखिल देव तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विभाग की टीम द्वारा मुरसान विकास खंड के गांव भबरोई, गुबरारी, करील आदि क्षेत्रों में कीट एवं रोग सर्वेक्षण किया गया। प्रभारी वरिष्ठ प्राविधिक सहायक (ग्रुप-ए) कृषि रक्षा रमेश चंद्र के अनुसार सरसों और आलू की फसलों पर इस समय गंभीर बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका है। जिन किसानों ने बीज शोधन नहीं किया है, उनके खेतों में इन रोगों का असर अधिक दिखाई देने की संभावना है, जिससे फसल के पूर्ण रूप से नष्ट होने का खतरा भी बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार सरसों की फसल में तना सड़न, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा और सफेद गेरूई रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है। तना सड़न में पौधों के तने भूमि से संपर्क वाले हिस्से पर काले होकर सड़ जाते हैं और आगे का भाग नष्ट हो जाता है। अल्टरनेरिया रोग में पत्तियों व फलियों पर गहरे कत्थई रंग के गोल धब्बे बनते हैं, जो गंभीर प्रकोप में पूरी पत्तियों को झुलसा देते हैं। सफेद गेरूई रोग में पत्तियों की निचली सतह पर सफेद फफोले बनते हैं, जिससे पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं और फूल आने की अवस्था में फली बनना बंद हो जाता है। इन बीमारियों से बचाव के लिए विभाग ने सलाह दी है कि लक्षण दिखाई देते ही मैकोजेब 75% WP, जिनेब 75% WP या कॉपपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP की निर्धारित मात्रा को प्रति हेक्टेयर 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
आलू की फसल में भी तना सड़न और जड़ गलन की संभावना अधिक बताई गई है। तना सड़न में पौधों के तने भूमि संपर्क वाले हिस्से से काले होकर सड़ने लगते हैं, जिससे पूरी पौध सूखने का खतरा होता है। विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि रोग अनुकूल मौसम में सिंचाई बंद कर दें तथा लगभग 75% पत्तियां नष्ट होने पर डंठलों को काटकर गड्ढे में दबा दें। बीमारी की रोकथाम हेतु स्ट्रेप्टोसाइक्लीन, कॉपपर ऑक्सीक्लोराइड, मैकोजेब, कार्बेन्डाजिम + मैकोजेब, साइमोक्सेनिल + मैकोजेब या मेटालेक्सिल + मैकोजेब की निर्धारित मात्रा को 750 से 1000 लीटर पानी में घोलकर 8–10 दिन के अंतराल पर 3–4 छिड़काव करने की सलाह दी गई है। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे समय से फसल की निगरानी करें तथा बीमारियों के शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही सुझाए गए उपचार अपनाकर अपनी फसल को बचाएं।















