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हाथरस 22 नवंबर । कृषि क्षेत्र में दीमक किसानों के लिए लगातार एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जिससे फसल की जड़ें प्रभावित होती हैं और उत्पादन पर गंभीर असर पड़ता है। इस चुनौती से निपटने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, हाथरस के कृषि वैज्ञानिक डॉ. बलवीर सिंह ने प्रभावी और वैज्ञानिक उपाय बताए हैं। डॉ. सिंह के अनुसार, दीमक प्रभावित क्षेत्रों में फसल बोने से पहले बीज उपचार करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने निम्नलिखित उपायों को सबसे अधिक प्रभावी बताया:

दीमक नियंत्रण हेतु अनुशंसित बीज उपचार

  1. क्लोरोपाइरीफॉस

    • मात्रा: 0.9 ग्राम ए.आई./किग्रा बीज

    • उत्पाद मात्रा: 4.5 मिली/किग्रा बीज

    • प्रभाव: दीमक नियंत्रण के लिए अत्यंत कारगर।

  2. थियामेथोक्साम 70 WS (क्रूजर 70 WS)

    • मात्रा: 0.7 ग्राम ए.आई./किग्रा बीज

    • उत्पाद मात्रा: 4.5 मिली/किग्रा बीज

    • प्रभाव: प्रारंभिक अवस्था में पौधों को दीमक से सुरक्षित रखता है।

  3. फिप्रोनिल (रीजेंट 5 FS)

    • मात्रा: 0.3 ग्राम ए.आई./किग्रा बीज

    • उत्पाद मात्रा: 4.5 मिली/किग्रा बीज

    • प्रभाव: जड़ क्षेत्र में दीमक के आक्रमण को प्रभावी ढंग से रोकता है।

डॉ. बलवीर सिंह ने बताया कि ये सभी उपाय दीमक से बचाव के लिए अत्यधिक लाभकारी हैं और समय पर उपयोग करने से किसान बेहतर फसल उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे बीज उपचार को अपनी कृषि पद्धति का नियमित हिस्सा बनाएं, ताकि फसलें शुरुआती अवस्था से ही सुरक्षित रहें। किसान भाई अधिक जानकारी, मार्गदर्शन या प्रशिक्षण के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, हाथरस से संपर्क कर सकते हैं।

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