
हाथरस 20 नवंबर । कृषि विज्ञान केंद्र हाथरस के वैज्ञानिक डॉ. बलवीर सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले खरपतवारों में जैसे- गेहूं का मामा, कृष्णनील, मोथा, बथुआ, चटरी-मटरी, हिरनखुरी, सैंजी, अंकरी-अंकरा, जंगली जई, जंगली पालक, जंगली गाजर आदि प्रमुख हैं। यदि समय पर खरपतवारों का नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल उत्पादन में 30 से 60 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। सामान्यत: ये खरपतवार मिट्टी से 47% नाइट्रोजन, 42% फॉस्फोरस, 50% पोटाश, 24% मैग्नीशियम और 39% कैल्शियम तक का उपयोग कर लेते हैं। खरपतवारों के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यू.पी. की 33 ग्राम या टाइसोप्रोट्यूरॉन+मैटसल्फ्यूरॉन मिथाइल 75 डब्ल्यू.पी.+20 डब्ल्यू.पी. की 1.0-1.3 किलो + 20 ग्राम की मिश्रण का छिड़काव किया जा सकता है। इसके अलावा, सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% और मैटसल्फ्यूरॉन मिथाइल 5% की 40 ग्राम या क्लोडिनाफॉप 15% और मैटसल्फ्यूरॉन मिथाइल 1% वेस्टा 15 डब्ल्यू.पी. की 600-800 लीटर पानी में घोलकर, पहली सिंचाई के बाद, 30 दिनों से पहले प्रति हैक्टर छिड़काव किया जाए। इससे खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है और गेहूं की फसल को पर्याप्त पोषण मिल सकेगा, जिससे उपज में वृद्धि संभव हो सकेगी।











