
हाथरस 19 नवंबर । हाथरस जिला बने 27 साल बीत चुके हैं, लेकिन राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय की स्थिति आज भी दयनीय है। अस्पताल मात्र 10×12 फीट के जर्जर कमरे में संचालित हो रहा है, जहां एक ही स्थान पर चिकित्सकों की बैठने की व्यवस्था, मरीजों की ओपीडी, दवाओं का स्टोर और वितरण सभी कुछ एक साथ चलता है। यह कमरा रोटरी क्लब द्वारा 1975 में यात्रियों के लिए बनाए गए छायावास का हिस्सा है, जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है और सड़क से चार फीट नीचे होने के कारण बरसात में जलभराव भी रहता है। जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डॉ. अशोक चौहान के अनुसार विभाग के पास निर्माण के लिए फंड मौजूद है, लेकिन जमीन उपलब्ध न होने के कारण नया अस्पताल नहीं बन पा रहा। कई बार शासन-प्रशासन को पत्राचार किया गया, परंतु न तो सरकारी भूमि उपलब्ध कराई गई और न ही रोटरी क्लब की खाली पड़ी भूमि पर निर्माण की अनुमति मिली। प्रशासन यह स्पष्ट नहीं कर पा रहा कि जमीन सीएमओ के माध्यम से विभाग को हस्तांतरित होगी या रोटरी क्लब की ही रहेगी, क्योंकि अब यह छायावास जिला अस्पताल परिसर में आ चुका है। वर्तमान में अस्पताल की स्थिति इतनी खराब है कि रोजाना आने वाले करीब 200 मरीजों को बैठने तक की जगह नहीं मिलती और मरीज ओपीडी के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते हैं। 10×12 कमरे को दो हिस्सों में बाँटकर एक में ओपीडी व दवा वितरण और दूसरे हिस्से में दवा भंडारण किया जाता है। चिकित्सकों की कमी भी प्रमुख समस्या है। मुख्यालय पर दो ओपीडी संचालित हैं, लेकिन एक में चिकित्सक तक उपलब्ध नहीं है। जिले में कुल तीन फार्मासिस्ट हैं, जिनमें दो डिस्पेंसरी संभालते हैं और एक कार्यालय का कार्य देखता है। अलग-अलग ब्लॉकों के अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों को रोस्टर के आधार पर मुख्यालय बुलाया जाता है। 27 वर्षों बाद भी राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय की यह उपेक्षा स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है और मरीजों को आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।










