
नई दिल्ली 07 नवंबर । मेडिकल साइंस की तरक्की ने एक बार फिर चमत्कार कर दिखाया है। मात्र 22 हफ्ते 5 दिन की गर्भावस्था में जन्मी 525 ग्राम की नवजात ने मुश्किलों को मात देते हुए जीवन का नया अध्याय शुरू कर दिया। पैदा होने के बाद बच्ची ने एनआईसीयू में 105 दिन बिताए और अब वह पूरी तरह स्वस्थ होकर 2.010 किलोग्राम वजन के साथ घर लौट आई है। बच्ची की मां दिव्या लंबे समय से बांझपन और गर्भपात की समस्या से जूझ रही थीं। अंततः आईवीएफ तकनीक ने उन्हें मातृत्व का सुख दिया। लेकिन 22वें हफ्ते में प्रसव पीड़ा शुरू होने के कारण सी-सेक्शन से बच्ची का जन्म कराना पड़ा। जन्म के बाद शिशु को इंट्यूबेशन कर पुनर्जीवित किया गया और तुरंत गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती किया गया। इतनी कम गर्भावधि में जन्म लेने वाले बच्चों के अंग पूरी तरह विकसित नहीं होते, जिससे श्वसन विफलता, संक्रमण और मस्तिष्क रक्तस्राव का खतरा अधिक रहता है। डॉक्टरों ने उन्नत तकनीक और निरंतर निगरानी के साथ इलाज किया। कंगारू मदर केयर और मां के दूध पर आधारित विशेष देखभाल से बच्ची का वजन लगातार बढ़ता गया और कुछ ही हफ्तों में उसने खुद सांस लेना शुरू कर दिया। एनआईसीयू में रहते हुए बच्ची का आरओपी (रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी) उपचार किया गया। डिस्चार्ज से पहले ब्रेन स्कैन में सामान्य विकास पाया गया। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि यह मामला इस बात का प्रमाण है कि बेहतर नवजात देखभाल और समय पर सही उपचार से जिंदगी की सबसे कठिन चुनौतियां भी पार की जा सकती हैं।











