
हाथरस 31 अक्टूबर । भगवान विष्णु के क्षीर सागर में योग निद्रा के चलते करीब चार माह तक मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लगा रहता है और देव प्रबोधिनी एकादशी से मांगलिक कार्य, विवाह लगन उत्सव की शुरुआत होती है लेकिन इस बार सूर्य पर राहु की दृष्टि शादी विवाह का गणित बिगाड़ रही है। इसलिए ज्योतिष जानकार देव प्रबोधिनी एकादशी को विवाह योग्य नहीं मान रहे हैं। 6 जुलाई 2025 से 2 नवंबर 2025 तक 120 दिनों के बाद श्री विष्णु जी देव नींद से कार्तिक मास की एकादशी के दिन उठेंगे, क्योंकि 6 जुलाई को देवशयन एकादशी के दिन प्रभु नारायण सो गए थे। देव शयन के कारण प्रायः सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। यह रोक 120 दिनों के बाद 2 नवंबर को समाप्त हो रही है। परंतु ग्रह गोचरीय तथा योग की अशुद्ध अवस्थाओं के कारण वैवाहिक प्रतीक्षारत नवयुगलों को अभी 20 दिनों तक और प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। श्री कार्त्तवीर्य नक्षत्र ज्योतिष संस्थान् हाथरस के संस्थापक आचार्य विनोद शास्त्री के अनुसार इस बार देवोत्थान एकादशी पर शहनाई – बाजा बजाने पर वेध (बाधा) योग का साया होने के कारण तथा अन्य योगों के कारण देव प्रबोधिनी एकादशी के 20 दिनों बाद भी सूनी दिखाई दे रही है। कारण है सूर्य पर राहु की दृष्टि तथा वेध (बाधा) योग का बनना। इस कारण अनसूझा साया देव प्रबोधिनी एकादशी पर शहनाई , बैंड , बाजा , नहीं बजेगा। 22 नवंबर 2025 को इस सीजन की पहली शहनाई , बाजा बारात होने जा रहा है। उक्त 20 दिनों में पाप ग्रहों का वेध, केतु वेध, भद्रा वेध, परिधार्थ: , लग्नऽभाव:, बेधृति, मासान्त:, अल्प रेखा, शनिवेध, राहु वेध, भुजंगपात, महापात, आदि वेध (बाधा) योगों के कारण विवाह मुहूर्त शुद्ध नहीं बन रहे हैं। इस कारण पाणिग्रहण संस्कार , शहनाई, बैंड, बाजा, बारात 22 नवंबर से आरंभ होकर 23 ,25, 30 नवंबर तक चार मुहूर्त नवंबर माह में तथा 11 , 12 दिसंबर को दो मुहूर्त दिसंबर माह में होंगे। इस सीजन में कुल 6 दिनों के विवाह मुहूर्त शुद्ध है। 15 दिसंबर को सूर्य के गुरु के घर में आगमन धनु राशि में होने के कारण एक माह फिर विवाह मुहूर्त, फेरों पर ब्रेक लग जाएगा। जो सूर्य के मकर संक्रांति 14 जनवरी 2026 के बाद ही शुभ लग्न, विवाह, फेरे, शहनाई , आरंभ हो पाएगी।











