
सासनी 06 अक्टूबर । विद्यापीठ इंटर कॉलेज में महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रार्थना सभा में महर्षि वाल्मीकि जी के छवि चित्र पर प्रधानाचार्य डॉ. राजीव कुमार अग्रवाल और सभी शिक्षकों ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानाचार्य डॉ. अग्रवाल ने इस अवसर पर वाल्मीकि जी के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे संस्कृत रामायण के रचयिता और आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण एक महाकाव्य है जो राम के जीवन के माध्यम से जीवन के सत्य और कर्तव्य की सीख देती है। डॉ. अग्रवाल ने छात्रों को यह भी समझाया कि किसी भी कार्य को करने में इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, और प्रण तोड़ने से पुण्य नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि बताते हुए कहा कि जिनका ज्ञान चक्षु जागृत हो जाता है उन्हें ऋषि कहा जाता है, जिनका दिव्य चक्षु जागृत हो जाता है उन्हें महर्षि और जिनका परम चक्षु जागृत हो जाता है उन्हें ब्रह्मर्षि कहा जाता है। महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौंवें पुत्र वरुण यानी आदित्य से हुआ। कहा जाता है कि एक बार ध्यान में बैठे वाल्मीकि जी के शरीर को दीमकों ने ढक लिया था, और साधना पूरी करके जब वे बाहर निकले तो उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। ब्रह्माजी के आदेश पर उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण रचा, जो संसार का पहला महाकाव्य माना जाता है। इस अवसर पर अरुण कुमार कौशिक, संजय कुमार, राजीव कुमार, भारत सिंह, प्रियंका, नीरज गुप्ता, अशोक कुमार, महेंद्र प्रकाश सैनी, मुकेश दिवाकर, हनी वशिष्ठ, सतीश कुमार, राकेश कुमार, यश कुशवाहा, जितेंद्र कुशवाहा सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। सभा में वाल्मीकि जी के जीवन और उनके आदर्शों को समझने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ।














